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Video:रोहिंग्या शरणार्थियों पर सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम फैसला सुनाने से किया इनकार

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने रोहिंग्या शरणार्थियों को, स्वास्थ्य और शिक्षा सुविधायें मुहैया कराने के लिए दायर अर्जी पर कोई भी अंतरिम आदेश देने से सोमवार को इनकार कर दिया। चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए. एम. खानविलकर और न्यायमूर्ति धनन्जय वाई. चन्द्रचूड़ की पीठ को केंद्र ने बताया कि भारतीयों और विदेशियों को स्वास्थ्य तथा शैक्षिक सुविधाएं मुहैया कराने में किसी प्रकार का भेदभाव नहीं किया जाता है।

पीठ ने कहा, ‘हम रोहिंग्या शरणार्थियों के लिये स्वास्थ्य और शैक्षिक सुविधाएं सुनिश्चित करने के बारे में कोई अंतरिम आदेश उस समय तक नहीं देंगे जब तक वे केंद्र के दावे के प्रतिकूल कोई सामग्री पेश नहीं करते।’ इससे पहले, दिन में शीर्ष अदालत ने केंद्र को विभिन्न राज्यों में रोहिंग्या शरणार्थी शिविरों की स्थिति के बारे में विस्तृत स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया था।

शीर्ष अदालत ने तमिलनाडु में श्रीलंका के तमिल शरणार्थियों को दी गई शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं के समान ही सुविधाओं के लिये दो रोहिंग्या शरणार्थियों मोहम्मद सलीमुल्ला ओर मोहम्मद शाकिर की अर्जी पर सात मार्च को केंद्र से जवाब मांगा था। हालांकि, केंद्र ने अपने जवाब में इस अर्जी का विरोध करते हुए कहा कि श्रीलंकाई शरणार्थियों के साथ तुलना करने का कोई औचित्य नहीं है। सरकार ने कहा कि श्रीलंकाई तमिल शरणार्थियों को मुहैया कराई गई राहत सुविधाओं के मूल में 1964 का भारत-श्रीलंका समझौता था।

रोहिंग्या शरणार्थियों ने शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं के अलावा भारत में प्रवेश की अनुमति मांगी है और विदेशी क्षेत्रीय पंजीकरण कार्यालय से शरणार्थी पहचान पत्र दिलाने का आग्रह किया है। इससे पहले, इन दोनों ने म्यांमार में बड़े पैमाने पर हिंसा और भेदभाव की वजह से भाग कर भारत आए 40,000 से अधिक रोहिंग्या शरणार्थियों को वापस भेजने के केंद्र सरकार के फैसले के खिलाफ शीर्ष अदालत में याचिका दायर की थी। म्यांमार से भाग कर भारत आए रोहिंग्या शरणार्थी जम्मू, हैदराबाद, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, दिल्ली-एनसीआर और राजस्थान में बसे हैं