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Video:सांप्रदायिक हिंसा में विकलांग हुए ऐम्बुलेंस ड्राईवर नईम को सता रही है परिवार की चिंता

नई दिल्ली: रामनवमी के जुलूस को लेकर भारत के कई राज्यों का माहौल बिगड़ा था जिनमें विशेषरूप से बिहार,वेस्ट बंगाल और झारखण्ड के कई जिले शामिल थे,हिंसा भड़की तो लोगों ने एक दूसरे के मकान,दुकान में आग लगा दी और एक दूसरे की जान के दुश्मन बन गए थे,जमकर तांडव मचाया था,दँगाई तो दँगा करके फरार होजाते हैं लेकिन आम जनता को भारी कीमत चुकानी पड़ती है।

जब 26 मार्च को बिहार के औरंगाबाद में रामनवमी जुलुस के दौरान भड़की हिंसा में हुई गोलीबारी मेें गंभीर रूप से घायल नईम इलाज़ के बाद अब औरंगाबाद लौट चूका है. पेशे से एम्बुलेंस चालक नईम की जान सरकारी प्रयास से बच तो जरूर गयी मगर दोनों पैरों से हमेशा के लिए लाचार हो चूका नईम बिस्तर पर पड़े पड़े इस उधेड़बुन में फंसा है कि अब उनके परिवार का क्या होगा।

हादसे के बाद वैसे तो राज्य सरकार ने तत्परता दिखाते हुए औरंगाबाद से लेकर एम्स दिल्ली तक उसके इलाज़ का सारा खर्चा जरूर वहन किया और इस बात का न सिर्फ नईम बल्कि उसका पूरा परिवार भी शुक्रगुज़ार है, मगर इलाज़ में आगे और भी होनेवाले खर्चों की चिंता उन्हें सत्ता रही है. उन्हें डर है तो बस इस बात का कि कहीं आगे होने वाले इलाज के खर्चों से सरकार कहीं अपना हाथ न खींच ले।

इधर, नईम के इलाज़ के बाद घर वापस लौटने की सूचना पर उसका हाल जानने वालों की भीड़ जुटने लगी. उसकी दशा देख सबों ने चिंता जाहिर की और सरकार से उसके रोज़ी रोज़गार की व्यवस्था करने की मांग की. लोगों ने बताया कि उसी की कमाई से ही उसका पूरा परिवार चलता था मगर दिव्यांगता की वजह से अब उसके परिवार के समक्ष दो जून की रोटी की समस्या भी उठ कड़ी हो गयी है।

बहरहाल, गंभीर रूप से घायल नईम को तत्काल यदि सरकारी सहायता नहीं मिली होती तो नईम शायद आज हम सबों के बीच नहीं रहता. सरकार के इस सकारात्मक पहल की लोग जमकर तारीफ़ कर रहे हैं वहीँ लोगों में सरकार के प्रति भरोसा भी बढा है. जरुरत है इस पहल को निरंतर जारी रखने की ताकि सरकारी सिस्टम पर लगातार उठ रहे सवालों को करारा जवाब मिल सके।