अंतरराष्ट्रीय कानून को ठेंगा दिखाते हुए अमेरिका ने पवित्र शहर बैतूल मुक़द्दस यानी येरुशलम में अपना दूतावास खोल दिया है ,जिसका विरोध कर रहे हज़ारों फिलिस्तीनियों पर इज़राईल ने गाज़ा पट्टी में खतरनाक हथियारों के द्वारा हमला बोल दिया जिसमें तीन हज़ार के लगभग घायल होगए हैं,और 61 शहीद हुए हैं।
इस घटना के बाद पूरी दुनिया ने इज़राईल की इस हरकत की कड़े शब्दों में निंदा करी है,तुर्की सहित कई देशों ने अपने राजदूत वापस बुला लिये हैं,और दुनिया के अधिकतर देश इस क़त्लेआम के विरोध में खड़े हुए हैं।
President Erdoğan speaks at press conference following OIC Extraordinary Summit in Istanbul pic.twitter.com/OjwCaWD7uy
— Presidency of the Republic of Türkiye (@trpresidency) May 19, 2018
तुर्की ने इज़राईली राजदूत को 24 घण्टे में तुर्की छोडने की धमकी देकर इस्तंबूल ऐयरपोर्ट पर रुसवा करके निकाला है,और कड़े सेक्यूरिटी चैकिंग के बगैर किसी प्रोटोकॉल के राजदूत को अपमानित किया गया,जिसके बाद से इज़राईल तुर्की के सामने खुशामदी लहज़े में बात कर रहा है।
तुर्की द्वारा बुलाई गई मुस्लिम राष्ट्रों की आपातकाल बैठक बुलाई गई जिसमें मुस्लिम देशों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया इस आपातकालीन बैठक में फ़लस्तीनियों की रक्षा के लिए एक अंतरराष्ट्रीय सैन्य बल तैयार करने की मांग उठी है,इन देशों के एक संगठन ने ये भी आरोप लगाया है कि बीते सोमवार को इसराइल ने जानबूझकर कम से कम 60 फ़लस्तीनी नागरिकों की हत्या कर दी है।
LIVE: Extraordinary OIC Palestine summit begins in Istanbul https://t.co/e7WfNkl9zW #WeStandForQuds pic.twitter.com/PjNfB3LKy6
— ANADOLU AGENCY (@anadoluagency) May 18, 2018
इस बैठक में तुर्की के राष्ट्रपति रजब तय्यब एर्दोगान ने गज़ा में फ़लस्तीनियों के साथ इसराइल के बर्ताव की तुलना दूसरे विश्व युद्ध में नाज़ियों की तरफ से यहूदियों के साथ किए गए बर्ताव से की है।
तुर्की के इज़राईल को लेकर अपनाये सख्त तेवर के कारण अमेरिका और इज़राईल को बड़ी बैचैनी होरही है क्योंकि अब तक उसके ज़ुल्म और अत्याचार के विरुद्ध किसी ने आवाज़ नही उठाई थी।