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Video: देखिए फ़लस्तीनियों की रक्षा के लिए मुस्लिम देश अंतरराष्ट्रीय फ़ोर्स तैयार करेंगे

अंतरराष्ट्रीय कानून को ठेंगा दिखाते हुए अमेरिका ने पवित्र शहर बैतूल मुक़द्दस यानी येरुशलम में अपना दूतावास खोल दिया है ,जिसका विरोध कर रहे हज़ारों फिलिस्तीनियों पर इज़राईल ने गाज़ा पट्टी में खतरनाक हथियारों के द्वारा हमला बोल दिया जिसमें तीन हज़ार के लगभग घायल होगए हैं,और 61 शहीद हुए हैं।

इस घटना के बाद पूरी दुनिया ने इज़राईल की इस हरकत की कड़े शब्दों में निंदा करी है,तुर्की सहित कई देशों ने अपने राजदूत वापस बुला लिये हैं,और दुनिया के अधिकतर देश इस क़त्लेआम के विरोध में खड़े हुए हैं।

तुर्की ने इज़राईली राजदूत को 24 घण्टे में तुर्की छोडने की धमकी देकर इस्तंबूल ऐयरपोर्ट पर रुसवा करके निकाला है,और कड़े सेक्यूरिटी चैकिंग के बगैर किसी प्रोटोकॉल के राजदूत को अपमानित किया गया,जिसके बाद से इज़राईल तुर्की के सामने खुशामदी लहज़े में बात कर रहा है।

तुर्की द्वारा बुलाई गई मुस्लिम राष्ट्रों की आपातकाल बैठक बुलाई गई जिसमें मुस्लिम देशों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया इस आपातकालीन बैठक में फ़लस्तीनियों की रक्षा के लिए एक अंतरराष्ट्रीय सैन्य बल तैयार करने की मांग उठी है,इन देशों के एक संगठन ने ये भी आरोप लगाया है कि बीते सोमवार को इसराइल ने जानबूझकर कम से कम 60 फ़लस्तीनी नागरिकों की हत्या कर दी है।

इस बैठक में तुर्की के राष्ट्रपति रजब तय्यब एर्दोगान ने गज़ा में फ़लस्तीनियों के साथ इसराइल के बर्ताव की तुलना दूसरे विश्व युद्ध में नाज़ियों की तरफ से यहूदियों के साथ किए गए बर्ताव से की है।

तुर्की के इज़राईल को लेकर अपनाये सख्त तेवर के कारण अमेरिका और इज़राईल को बड़ी बैचैनी होरही है क्योंकि अब तक उसके ज़ुल्म और अत्याचार के विरुद्ध किसी ने आवाज़ नही उठाई थी।