लखनऊ: RSS के राम मंदिर पर आये बयान के बाद अब उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी ने भी बयान देकर सनसनी फैला दी है,योगी ने कहा है कि
अयोध्या में भव्य राम मंदिर निर्माण की तैयारी शुरू करने की बात कही है।
मोहन भागवत ने एक दिन पहले ही कहा था कि राम मंदिर बनाने के लिए मोदी सरकार को कानून बनाना चाहिए। शुक्रवार को गोरखपुर में एक कार्यक्रम के दौरान योगी आदित्यनाथ ने कहा कि राम के बगैर जनकल्याण का मार्ग प्रशस्त नहीं हो सकता है।
सीएम ने कहा, ‘मैं आप सबसे आग्रह करूंगा कि मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम की लीलाओं के साथ-साथ हम उनके आदर्शों को जीवन में उतारें। समाज में इसका प्रचार-प्रसार करें। रामलीलाओं की भव्यता के साथ-साथ समाज के इस भव्य मंदिर को भी उसी रूप में बनाने की तैयारी हमें करनी चाहिए जिस प्रकार से भव्य मंदिर के रूप में राम की लीलाओं का आयोजन हम करते हैं।
Ramlilaon ke bhavyataon ke saath-saath samaj ke iss bhavya mandir ko bhi ussi roop mein banane ki tayari humein karni chahiye jis prakar se bhavya mandir ke roop mein ramlilon ka aayojan hum karte hain: Uttar Pradesh CM Yogi Adityanath pic.twitter.com/9y6mYU6asm
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) October 19, 2018
आपको बता दें कि विजयादशमी से एक दिन पहले अपने संबोधन में राष्ट्रीय स्वयंसेवक प्रमुख मोहन भागवत ने राम मंदिर बनाने का आह्वान किया था। भागवत ने कहा कि मंदिर पर चल रही राजनीति को खत्म कर इसे तुरंत बनाना चाहिए। उन्होंने यहां तक कहा कि जरूरत हो तो सरकार इसके लिए कानून बनाए। 2019 के लोकसभा चुनावों में अब कुछ ही महीने बचे हैं, ऐसे में मंदिर की मांग जोर पकड़ने के राजनीतिक निहातार्थ भी निकाले जा रहे हैं।
मोहन भागवत ने राम मंदिर बनाने की मांग उठाते हुए परोक्ष रूप से मोदी सरकार को भी नसीहत दी है। मोहन भागवत ने कहा, ‘भगवान राम किसी एक संप्रदाय के नहीं हैं। वह भारत के प्रतीक हैं। सरकार किसी भी तरह से कानून लाए। लोग यह पूछ रहे हैं कि उनके द्वारा चुनी गई सरकार है फिर भी राम मंदिर क्यों नहीं बन रहा।’
29 अक्टूबर से सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई
खास बात यह है कि बीजेपी की ओर से राम मंदिर निर्माण की बात ऐसे समय में की जा रही है जब कुछ दिन बाद ही सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या केस पर सुनवाई शुरू होने वाली है। सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया है कि मामला जमीन विवाद के तौर पर ही निपटाया जाएगा। अयोध्या जमीन विवाद मामले की सुनवाई 29 अक्टूबर से शुरू होगी। मुख्य पक्षकार राम लला विराजमान, निर्मोही अखाड़ा, सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड और हिंदू महासभा हैं। इसके अलावा अन्य कई याची जैसे सुब्रमण्यन स्वामी आदि की अर्जी है जिन्होंने पूजा के अधिकार की मांग की है, लेकिन सबसे पहले चार मुख्य पक्षकारों की ओर से दलीलें पेश की जाएंगी।
जानिए क्या है अयोध्या विवाद
6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में बाबरी मस्जिद को गिरा दिया गया था। इस मामले में आपराधिक केस के साथ-साथ दीवानी मुकदमा भी चला। टाइटल विवाद से संबंधित मामला सुप्रीम कोर्ट में पेंडिंग है। 30 सितंबर 2010 को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने फैसले में कहा था कि तीन गुंबदों में बीच का हिस्सा हिंदुओं का होगा, जहां फिलहाल रामलला की मूर्ति है। निर्मोही अखाड़े को दूसरा हिस्सा दिया गया, इसी में सीता रसोई और राम चबूतरा शामिल है। बाकी एक तिहाई हिस्सा सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड को दिया गया। इस फैसले को तमाम पक्षकारों ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। 9 मई 2011 को सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगा यथास्थिति बहाल कर दी थी।