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VIDEO: इंग्लैंड की जीत के जश्न में शैंपेन खुली तो दोनों मुस्लिम खिलाड़ियों ने जीत लिया दिल,नही मनाया जश्न,वीडीयो हुई वायरल-देखिए

नई दिल्ली:क्रिकेट के मैदान पर कुछ मुस्लिम खिलाड़ियों के अपने धर्म के प्रति झुकाव के कारण उनकी जमकर तारीफ होती है,और उन्हें पसन्द किया जाता है,साउथ अफ्रीका के हाशिम अमला को इसके लिये जाना जाता रहा है।

आईपीएल में राशिद खान ने शैंपेन के साथ जश्न मनाने से इनकार कर दिया था जिसके बाद उनकी बड़ी तारीफ हुई थी अब ओवल टेस्ट में 118 रनों से जीत हासिल करने वाली इंग्लैंड की टीम ने जीत के बाद जमकर जश्न मनाया, लेकिन खुशियों के इन पलों के बीच उसके दो खिलाड़ी ने जश्न नही मनाया।

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यहां बात हो रही है मोइन अली और आदिल रशीद की जो इंग्लैंड के जीत के जश्न में शामिल नहीं हुए. दरअसल ट्रॉफी मिलने के बाद इंग्लैंड की टीम ने शैंपेन खोलकर जश्न मनाया. दरअसल आदिल रशीद और मोइन अली काफी धार्मिक हैं वो ऐसे जश्न और पार्टियों से खुद को अलग ही रखते हैं।

मोइन अली का पीओके से रिश्ता

मोइन अली भले ही इंग्लैंड में पले-बढ़े हैं लेकिन उनका रिश्ता पाक अधिकृत कश्मीर (PoK) से है. मोइन अली के माता-पिता पीओके के मीरपुर से हैं. इस इलाके पर पाकिस्तान ने जबरन कब्जा किया हुआ है वहां आतंकवाद फैला हुआ है. मोइन अली के दादा ने ब्रिटिश लड़की से शादी की थी।

जिसके बाद वो ब्रिटेन में बस गए. मोइन अली का जन्म इंग्लैंड में ही हुआ. मोइन अली अंग्रेजी के अलावा उर्दू और पंजाबी भी बोलते हैं. वहीं आदिल रशीद का भी यॉर्कशायर में जन्म हुआ लेकिन वो पाकिस्तानी मूल के हैं. ये दोनों ही खिलाड़ी इंग्लैंड में पले-बढ़े तो हैं लेकिन इनका अपने धर्म इस्लाम के प्रति झुकाव काबिले तारीफ है।

हाशिम आमला भी हैं धार्मिक
साउथ अफ्रीकी बल्लेबाज हाशिम अमला भी बेहद धार्मिक हैं. अमला शराब से दूर रहने के साथ-साथ साउथ अफ्रीकी टीम की जर्सी पर लगी बीयर कंपनी कैसल लागर का लोगो तक नहीं लगाते हैं. अमला इस लोगो को अपनी जर्सी पर नहीं लगाने के बदले हर मैच के बाद नियमित रूप से जुर्माना भरते हैं।

जब भी खेल के मैदान में कोई क्रिकेटर इस तरीके का व्यवहार करता है, तो प्रशंसकों की नजर में उनकी इज्जत और बढ़ जाती है। बता दें कि मोईन अली और आदिल रशीद के साथ-साथ अन्य देशों की ओर से खेलने वाले क्रिकेट खिलाड़ियों ने भी पहले ऐसा किया है। दक्षिण अफ्रीकी क्रिकेट टीम के स्टार बल्लेबाज हाशिम अमला ऐसे मौके पर खुद अलग हो जाया करते हैं। रमजान के महीनों में भी मुस्लिम क्रिकेटर सार्वजनिक तौर पर कुछ भी खाने-पीने से परहेज करते है।