नई दिल्ली: येरुशलम में अमेरिका द्वारा इज़राईली दूतावास खोलने के विरोध में रमज़ान उल मुबारक से पहले महाविरोध प्रदर्शन हुआ था,40 हज़ार के लगभग फिलिस्तीनी मुसलमानों ने भाग लिया था,जिसमें 62 के लगभग शहीद हुए थे और तीन हज़ार घायल हुए थे जिससे इज़राईल की नींद उड़ गई थी।
Palestinian young men climb the Israeli Segregation Wall surrounding occupied Jerusalem to pray in al-Aqsa Mosque in the holy city, on the last Friday of the holy month Ramadan. pic.twitter.com/9mkqHwfBlc
— Quds News Network (@QudsNen) June 8, 2018
इज़राईल ने अपने सैनिकों और ऊँची ऊँची दीवारों से बैतूल मुक़द्दस को घेर रखा है जिसको चाहता है जाने की इज़ाज़त दी जाती है और जिस पर चाहे रोक लगा देता है,रमज़ान उल मुबारक के आखरी जुमें की नमाज़ पढ़ने के लिये फिलसितीनि मुसलमान मस्जिद अक़्सा पहुँचे तो इज़राइली सैनिकों ने सिर्फ 40 वर्ष से अधिक आयु वाले पुरुषों और महिलाओं को मस्जिद में प्रवेश करने की इज़ाज़त दी।
लेकिन नोजवान लड़को और लड़कियों ने मस्जिद अक़्सा में नमाज़ पढ़ने के लिये इज़राईल के द्वारा बनाई गई सैकड़ों फिट ऊंची दिवार फलांग कर मस्जिद में प्रवेश किया,दीवार फलांगने वाले मुसलमानों पर इज़राईल सैनिकों ने आंसूगैस के गोले बरसाये तथा रबर बुलेट से उनको रोकने की कोशिश करी लेकिन इन युवाओं के ईमानी जोश और जज्बे को कोई चीज़ रोक नही सकी।
https://twitter.com/ALQadiPAL/status/1005054617389092864?s=19
रमज़ान उल मुबारक के चौथे जुमें को दो लाख 80 हज़ार फिलिस्तीनी मुसलमानों ने मस्जिद अक़्सा में जुमें की नमाज़ अदा करी और अल्लाह से बैतुलमुक़द्दस की आज़ादी के लिये दुआ करी।
इज़राईल सैनिकों द्वारा मस्जिद को चारों तरफ़ से घेरकर छावनी बना दी गई थी,लेकिन लाख जतन और कोशिशों के बावजूद लाखों की संख्या में मुसलमान मस्जिद में दाखिल हुए और इज़राईल मुंह देखता रह गया।