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WHO ने भारत और इंडोनेशिया की ऐसी 20 विषाक्त दवाओं को चिह्नित किया-जो दुनियाभर में 300 मौतों से जुड़ी हुई है!

300 मौतों की वजह बनी 20 दवाएं चिन्हित, भारत और इंडोनेशिया की हैं कंपनियां

विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा की जा रही दूषित कफ सीरप की जांच में, जो अब तक दुनियाभर में हुई लगभग 300 मौतों से जुड़ी हुई है, भारत और इंडोनेशिया की ऐसी 20 विषाक्त दवाओं को चिह्नित किया गया है।

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार डब्ल्यूएचओ के प्रवक्ता क्रिश्चियन लिंडमीयर ने कहा कि ये 20 उत्पाद दोनों देशों के 15 अलग-अलग निर्माताओं द्वारा निर्मित थे।

सभी दवाएं सीरप हैं, जिनमें खांसी की दवा, पैरासिटामोल या विटामिन शामिल हैं। इनमें पहले पहचाने गए 15 दूषित सीरप भी शामिल हैं, जिनमें से सात भारत के थे। इनमें से हरियाणा के मेडेन फार्मास्यूटिकल्स के 4, नोएडा के मैरियन बायोटेक के 2 और एक पंजाब स्थित क्यूपी फार्माकेम द्वारा निर्मित हैं। बाकी की दवाइयां इंडोनेशिया में बनी हुई हैं।

इससे पहले डब्ल्यूएचओ ने गांबिया और उज्बेकिस्तान में 15 दवाओं को लेकर ‘मेडिकल प्रोडक्ट अलर्ट’ जारी किया है, जहां पिछले साल कम से कम 88 मौतों से भारतीय निर्मित सीरप को जोड़ा गया था। माइक्रोनेशिया और मार्शल द्वीप समूह में भी ऐसा अलर्ट जारी हुआ था, साथ ही इंडोनेशिया में भी अलर्ट जारी किया गया था, जहां घरेलू स्तर पर बेचे जाने वाले सीरप को 200 से अधिक बच्चों की मौत से जोड़ा गया था।

इस साल जून की शुरुआत में नाइजीरियाई ड्रग कंट्रोलर ने लाइबेरिया में बेचे जाने वाले पैरासिटामोल सीरप को डायथिलीन ग्लाइकॉल या एथिलीन ग्लाइकॉल से दूषित पाए जाने के बाद अलर्ट जारी किया था। सीरप का निर्माण मुंबई की एक कंपनी द्वारा किया गया था।

उल्लेखनीय है कि इस तरह का पहला मामला पिछले साल अक्तूबर में सामने आया था जब डब्ल्यूएचओ ने मेडेन फार्मा के दूषित कफ सीरपों को लेकर मेडिकल अलर्ट जारी किया था। तब इन दवाओं को गांबिया में हुई 70 बच्चों की मौत से जोड़ा गया था।

इसके बाद उज्बेकिस्तान ने नोएडा के मैरियन बायोटेक द्वारा निर्मित दो सीरप के कारण कम से कम 18 बच्चों की मौत की खबर आई थी। इसी तरह के एक मामले में इंडोनेशिया में लगभग 200 बच्चों की मौत को आठ दूषित सीरप से जोड़ा गया था।

इसके बाद माइक्रोनेशिया और मार्शल द्वीपों में पाए जाने वाले दूषित उत्पादों के लिए ऑस्ट्रेलियाई ड्रग रेगुलेटर द्वारा अलर्ट जारी किया गया था। दवाओं का निर्माण पंजाब स्थित क्यूपी फार्माकेम द्वारा किया गया था, जिसने बताया था कि उन्होंने कभी भी इन देशों को अपने सीरप का निर्यात नहीं किया।