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WHO ने वैश्विक चेतावनी जारी करते हुए कहा-भारत की ये दवा घटिया और असुरक्षित है!

विश्‍व स्वास्थ्य संगठन ने कहा है कि पिछले महीने इराक में पाया गया दूषित सामान्य कोल्ड सिरप तमिलनाडु स्थित एक भारतीय दवा कंपनी द्वारा निर्मित किया गया था.

दूषित बैच का निर्माण फोर्ट्स (इंडिया) लेबोरेटरीज प्राइवेट लिमिटेड द्वारा किया गया था. डब्ल्यूएचओ के एक बयान के मुताबिक डैबिलाइफ फार्मा प्राइवेट लिमिटेड के लिए बनी ‘कोल्ड आउट’ नाम की सर्दी की दवा है, जो इराक में बिक्री के लिए मिलती है. डब्ल्यूएचओ के मुताबिक इस दवा के सैंपल में डायथिलीन ग्लाइकॉल और एथिलीन ग्लाइकॉल की मात्रा मानक से काफी ज्यादा थी.

डब्ल्यूएचओ ने वैश्विक चेतावनी जारी करते हुए कहा, “यह उत्पाद घटिया और असुरक्षित है. इसका इस्तेमाल खासकर बच्चों को गंभीर नुकसान या उनकी मौत का कारण बन सकता है.” पिछले दस महीनों में भारतीय कंपनियों की दवाओं के खिलाफ विश्व स्वास्थ्य संगठन की यह पांचवीं चेतावनी है.

इस दवा के बैच में डायथिलीन ग्लाइकॉल की मात्रा 0.25 फीसदी और एथिलीन ग्लाइकॉल की मात्रा 2.1 फीसदी पाई गई, जबकि मानक मात्रा 0.10 फीसदी से अधिक नहीं है. डायथिलीन ग्लाइकॉल और एथिलीन ग्लाइकॉल जहरीला होता है और ज्यादा मात्रा में शरीर में जाने से मौत तक हो सकती है.

सुरक्षा और गुणवत्ता पर गारंटी नहीं दी
यूएन एजेंसी ने कहा कि निर्माता और दवा की मार्केटिंग कंपनी ने उत्पाद की सुरक्षा और गुणवत्ता पर डब्ल्यूएचओ को गारंटी नहीं दी है. डब्ल्यूएचओ ने कहा कि कफ सिरप के “विषाक्त प्रभाव” से पेट दर्द, उल्टी, दस्त, पेशाब में परेशानी और गुर्दे की गंभीर क्षति शामिल हो सकती है, जिससे मृत्यु हो सकती है.

पिछले साल गाम्बिया और उज्बेकिस्तान में कम से कम 89 बच्चों की मौत के लिए भारतीय कंपनी मेडेन फार्मास्यूटिकल्स द्वारा निर्मित कफ सिरप को जिम्मेदार ठहराया गया था. इसके अलावा भारतीय अधिकारियों को राइमन लैब्स द्वारा निर्मित कफ सिरप में भी विषाक्त पदार्थ मिले, जिसे कैमरून में बच्चों की मौत के लिए दोषी ठहराया गया था.

उज्बेकिस्तान में बच्चों की मौत का मामला सामने आने के बाद भारत की नियामक एजेंसी ने मैरियन बायोटेक प्राइवेट के लाइसेंस रद्द कर दिए थे और कंपनी के कुछ कर्मचारी भी गिरफ्तार किए गए थे.

सरकार ने क्या कदम उठाए
पिछले कुछ महीनों में खांसी की दवाओं में जहरीले रसायनों के कई मामले सामने आ चुके हैं. इनमें से कई मामलों में दवा भारत में बनी थी. 2022 में गाम्बिया, उज्बेकिस्तान और इंडोनेशिया में 300 से अधिक बच्चों की मौत खांसी की दवा के कारण होने की बात सामने आयी थी. अधिकतर मामलों में दवाएं भारतीय कंपनियों द्वारा बनायी गयी थीं.

इन मामलों के बाद भारत ने अपनी दवा कंपनियों पर अब सख्त नियम लागू कर दिये हैं. हाल ही में भारत सरकार ने आदेश जारी किया था कि निर्यात होने वाली खांसी की दवा को एक प्रमाणपत्र लेना होगा. यह प्रमाण पत्र कड़े परीक्षणों के बाद जारी किया जाएगा और यह जांच एक सरकारी प्रयोगशाला में की जाएगी. व्यापार मंत्रालय ने मई में यह यह निर्देश जारी किया था, जिस पर अमल पहली जून से लागू हुआ.

भारत में दवा निर्माण का 41 अरब डॉलर का उद्योग है और वह दुनिया के सबसे बड़े दवा निर्माताओं में से है. लेकिन पिछले कुछ महीनों से भारत का दवा उद्योग अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विवादों से जूझ रहा है क्योंकि गाम्बिया, उज्बेकिस्तान और अमेरिका में भी भारत में बनीं दवाओं के कारण लोगों की जान जाने की खबरें आईं.

एए/सीके (रॉयटर्स)