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#WorldPopulationDay, योगी सरकार मुसलमानों को निशाने पर लेने के लिए ऐसा कर रही है

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है परिवार नियोजन के ज़रिए जनसंख्या नियंत्रण की बात करते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि इससे जनसंख्या असंतुलन की स्थिति पैदा ना हो पाए.

सोमवार को विश्व जनसंख्या दिवस के मौक़े पर योगी आदित्यनाथ ने लखनऊ में एक कार्यक्रम में कहा, ”जब हम परिवार नियोजन और जनसंख्या स्थिरीकरण की बात करते हैं तो हमें इस बात को ध्यान में रखना होगा कि जनसंख्या नियंत्रण का कार्यक्रम सफलता पूर्वक आगे बढ़े लेकिन जनसांख्यिकी असंतुलन की स्थिति पैदा न हो जाए. ऐसा न हो कि किसी वर्ग की आबादी की बढ़ने की गति और उसका प्रतिशत ज़्यादा हो और कुछ जो मूल निवासी हों उन लोगों की आबादी का स्थिरीकरण में हमलोग जागरूकता के माध्यम से एन्फ़ोर्समेंट के माध्यम से जनसंख्या संतुलन की स्थिति पैदा करें.”

योगी आदित्यनाथ ने कहा, ”यह एक चिंता का विषय है. हरेक उस देश के लिए जहाँ जनसांख्यिकी असंतुलन की स्थिति पैदा होती है. धार्मिक जनसांख्यिकी पर विपरीत असर पड़ता है. फिर एक समय के बाद वहाँ पर अव्यवस्था और अराजकता पैदा होने लगती है. इसलिए जब जनसंख्या नियंत्रण की बात करें तो जाति, मत-मज़हब, क्षेत्र, भाषा से ऊपर उठकर समाज में समान रूप से जागरूकता के व्यापक कार्यक्रम के साथ जुड़ने की ज़रूरत है.”

उत्तर प्रदेश लॉ कमिशन ने उत्तर प्रदेश जनसंख्या (नियंत्रण, स्थिरीकरण और कल्याण) बिल 2021 का एक ड्राफ्ट सौंपा है.

समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, प्रस्तावित बिल में दो बच्चे के नियम की बात कही गई है. कुछ आलोचकों का कहना है कि योगी सरकार मुसलमानों को निशाने पर लेने के लिए ऐसा कर रही है. हालांकि बीजेपी सरकार ने इन आरोपों को सिरे से ख़ारिज कर दिया है.\\

योगी बनाम नक़वी की टिप्पणी
उत्तर प्रदेश भारत में सबसे ज़्यादा आबादी वाला राज्य है. योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि आने वाले सालों में उत्तर प्रदेश की आबादी 25 करोड़ पार कर जाएगी.

बीजेपी नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री मुख़्तार अब्बास नक़वी ने ट्वीट कर कहा है कि बढ़ती जनसंख्या किसी मज़हब और जाति की समस्या नहीं है बल्कि मुल्क की मुसीबत है.

नक़वी ने अपने ट्वीट में कहा है, ”बेतहाशा जनसंख्या विस्फोट किसी मज़हब की नहीं, मुल्क की मुसीबत है, इसे जाति, धर्म से जोड़ना जायज़ नहीं है.”

Mukhtar Abbas Naqvi
@naqvimukhtar
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बेतहाशा जनसंख्या विस्फोट किसी मज़हब की नहीं,मुल्क की मुसीबत है,इसे जाति,घर्म से जोड़ना जायज़ नहीं🙏 #populationday2022

कई लोग मुख़्तार अब्बास नक़वी की इस टिप्पणी को योगी आदित्यानाथ के बयान के विरोध में देख रहे हैं. अपने विवादित बयानों के लिए मशहूर और ख़ुद को फ़िल्म क्रिटिक कहने वाले कमाल आर ख़ान ने नक़वी के ट्वीट को रीट्वीट करते हुए लिखा है, ”बहुत देर कर दी मेहरबाँ आते आते. जनाब मुख़्तार अब्बास नक़वी अब तीर कमान से निकल चुका है. अब आपके ये कहने से कुछ नहीं होने वाला. अभी तो देखते जाइये कि मुसलमानों पर और क्या क्या इल्ज़ाम लगेगा. आप किसी भी पार्टी में हों, मुसलमान तो आप रहोगे ही! आपको शुभकामनाएं.”

Asaduddin Owaisi
@asadowaisi
On #WorldPopulationDay, Sanghis will spend time spreading fake news. The truth is India’s youth & kids face a bleak future under Modi’s rule. At least half of India’s youth are unemployed. India is home to the largest number of malnourished children in the world

ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के अध्यक्ष और हैदराबाद से लोकसभा सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने विश्व जनसंख्या दिवस पर ट्वीट कर बीजेपी को निशाने पर लिया है.

ओवैसी ने अपने ट्ववीट में लिखा है, ”विश्व जनसंख्या दिवस पर संघी फ़र्ज़ी ख़बर फैलाएंगे. सच यह है कि भारत में युवा और बच्चे मोदी शासन में अंधकारमय भविष्य का सामना कर रहे हैं. भारत के कम से कम आधे युवा बेरोज़गार हैं. भारत में विश्व के सबसे ज़्यादा कुपोषित बच्चे हैं. भारत की प्रजनन दर में गिरावट आई है और यह रिप्लेसमेंट लेवल से भी नीचे है. यहाँ कोई जनसंख्या विस्फोट की स्थिति नहीं है. हमें स्वस्थ और प्रोडक्टिव युवा आबादी को लेकर चिंता करनी चाहिए और इसे सुनिश्चित करने में मोदी सरकार नाकाम रही है.”

चीन को पीछे छोड़ देगा भारत

संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार, अगले साल भारत जनसंख्या के मामले में चीन को पीछे छोड़ सकता है. नवंबर 2022 में दुनिया की आबादी आठ अरब हो जाएगी.

यूएन की रिपोर्ट के अनुसार, 1950 के बाद वैश्विक आबादी सबसे धीमी गति से बढ़ रही है. 2020 में एक फ़ीसदी की गिरावट आई थी. संयुक्त राष्ट्र के अनुमान के मुताबिक़ 2030 तक दुनिया की आबादी 8.5 अरब हो जाएगी और 2050 में 9.7 अरब.

अमेरिका के प्यू रिसर्च सेंटर के एक अध्ययन में पता चला है कि भारत में सभी धार्मिक समूहों की प्रजनन दर में काफ़ी कमी आई है. नतीजा, साल 1951 से लेकर अब तक देश की धार्मिक आबादी और ढाँचे में मामूली अंतर ही आया है.

भारत में सबसे ज़्यादा संख्या वाले हिंदू और मुसलमान देश की कुल आबादी का 94% हिस्सा हैं यानी दोनों धर्मों के लोगों की जनसंख्या क़रीब 120 करोड़ है.

ईसाई, सिख, बौद्ध और जैन धर्मों के अनुयायी भारतीय जनसंख्या का 6% हिस्सा हैं.

प्यू रिसर्च सेंटर ने यह अध्ययन हर 10 साल में होने वाली जनगणना और राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS) के आँकड़ों के आधार पर किया है. इस अध्ययन में यह समझने की कोशिश की गई है कि भारत की धार्मिक आबादी में किस तरह के बदलाव आए हैं और इसके पीछे प्रमुख कारण क्या हैं.

सबसे ज़्यादा प्रजनन दर मुसलमानों की
भारत में अब भी मुसलमानों की प्रजनन दर सभी धार्मिक समूहों से ज़्यादा है. साल 2015 में हर मुसलमान महिला के औसतन 2.6 बच्चे थे.

वहीं, हिंदू महिलाओं के बच्चों की संख्या औसतन 2.1 थी. सबके कम प्रजनन दर जैन समूह की पाई गई. जैन महिलाओं के बच्चों की औसत संख्या 1.2 थी.

अध्ययन के अनुसार यह ट्रेंड मोटे तौर पर वैसा ही है, जैसा साल 1992 में था. उस समय भी मुसलमानों की प्रजनन दर सबसे ज़्यादा (4.4) थी. दूसरे नंबर पर हिंदू (3.3) थे.

अध्ययन के अनुसार, “प्रजनन दर का ट्रेंड भले ही एक जैसा हो लेकिन सभी धार्मिक समूहों में जन्म लेने वालों की बच्चों की संख्या पहले की तुलना में कम हुई है.”

प्यू रिसर्च सेंटर के अनुसार जनसंख्या दर में कमी ख़ासकर उन अल्पसंख्यक समुदाय में आई है, जो पिछले कुछ दशकों तक हिंदुओं से कहीं ज़्यादा हुआ करती थी.

प्यू रिसर्च सेंटर में वरिष्ठ शोधकर्ता और धर्म से जुड़े मामलों की जानकार स्टेफ़नी क्रेमर एक दिलचस्प पहलू की ओर ध्यान दिलाती हैं.

उनके मुताबिक़, “पिछले 25 वर्षों में यह पहली बार हुआ है जब मुसलमान महिलाओं की प्रजनन दर कम होकर प्रति महिला दो बच्चों के क़रीब पहुँची है.”

1990 की शुरुआत में भारतीय महिलाओं की प्रजनन दर औसतन 3.4 थी, जो साल 2015 में 2.2 हो गई. इस अवधि में मुसलमान औरतों की प्रजनन दर में और ज़्यादा गिरावट देखी गई जो 4.4 से घटकर 2.6 हो गई.

पिछले 60 वर्षों में भारतीय मुसलमानों की संख्या में 4% की बढ़त हुई है जबकि हिंदुओं की जनसंख्या क़रीब 4% घटी है. बाक़ी धार्मिक समूहों की आबादी की दर लगभग उतनी ही बनी हुई है.