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अमेरिका में रहने वाले सिख नेता गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या की नाकाम साज़िश में भारत की ख़ुफ़िया एजेंसी रॉ की भूमिका थी : अमेरिकी रिपोर्ट

अमेरिकी अख़बार वॉशिंगटन पोस्ट ने अपनी ताज़ा रिपोर्ट में दावा किया है कि अमेरिका में रहने वाले सिख अलगाववादी नेता गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या की नाकाम साज़िश में भारत की ख़ुफ़िया एजेंसी रॉ के अधिकारियों की भूमिका थी.

भारतीय विदेश मंत्रालय ने इस रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया दी है.

मंगलवार को विदेश मंत्रालय ने इस रिपोर्ट पर बयान जारी कर कहा है- “रिपोर्ट एक गंभीर मामले पर अनुचित और निराधार आरोप लगा रही है. ”

बयान में कहा गया है, “संगठित अपराधियों, आतंकवादियों के नेटवर्क पर अमेरिकी सरकार की ओर से साझा की गई सुरक्षा चिंताओं के बाद भारत सरकार ने उच्च स्तरीय समिति का गठन किया है जो मामले की जांच कर रही है. इसे लेकर अटकलें लगाना और ग़ैर ज़िम्मेदाराना बयान देना मददगार साबित नहीं होगा.”

वॉशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट में क्या है?
वॉशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि बीते साल 22 जून को अमेरिका के व्हाइट हाउस में पीएम मोदी का स्वागत किया जा रहा था उस समय भारतीय ख़ुफ़िया एजेंसी रॉ के एक अधिकारी अमेरिका में किराये के हत्यारों को खालिस्तान समर्थक नेता गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या करने के निर्देश दे रहे थे.

अख़बार ने लिखा है कि रॉ के एक अधिकारी विक्रम यादव ने इस हत्या को ‘प्रायरिटी नाउ’ यानी ‘सबसे अहम प्रथामिकता’ बताया था.

कुछ अधिकारियों के हवाले से अख़बार ने लिखा है कि यादव ने पन्नू के न्यूयॉर्क स्थित आवास के बारे में जानकारी सुपारी लेने वालों को दी थी. कहा गया था कि जैसे ही अमेरिकी नागरिक पन्नू अपने घर पर होंगे –“हमारी तरफ़ से काम को आगे बढ़ाने का आदेश मिल जाएगा.”

रिपोर्ट दावा करती है कि यादव की पहचान और इस मामले से जुड़े उनके तार अब तक सामने नहीं आए थे. उनके नाम का सामने आना अब तक का सबसे स्पष्ट सबूत है कि हत्या की योजना जिसे अमेरिकी अधिकारियों ने फेल कर दिया- उसके लिए रॉ ने निर्देश दिए थे.

वर्तमान और पूर्व पश्चिमी सुरक्षा अधिकारियों के अनुसार, सीआईए, एफबीआई और अन्य एजेंसियों की व्यापक जांच में कुछ हाई रैंकिंग रॉ अधिकारी भी तफ़्तीश के दायरे में आए हैं.

अख़बार ने ये दावा भी किया है कि अमेरिकी खुफिया एजेंसियों ने भी ये आकलन किया है कि पन्नू को निशाना बनाने वाले ऑपरेशन को उस समय के रॉ प्रमुख सामंत गोयल से मंज़ूरी मिली थी.

पूर्व वरिष्ठ भारतीय सुरक्षा अधिकारियों ने ‘वॉशिंगटन पोस्ट’ से बात की है, ये वो अधिकारी थे जिन्हें ऑपरेशन की जानकारी थी और उन्होंने कहा कि गोयल पर विदेशों में रह रहे सिख चरमपंथियों को खत्म करने का दबाव था.

अमेरिका से पहले 18 जून को कनाडा के वैंकूवर के पास हरदीप सिंह निज्जर की गोली मारकर हत्या की गई थी. इस ऑपरेशन में भी भारत का हाथ होने के आरोप लगे थे जिसका भारत ने खंडन किया था.

अख़बार का कहना है कि पाकिस्तान में कम से कम 11 ऐसे सिख और कश्मीरी अलगाववादी नेता मारे गए हैं जिन्हें मोदी सरकार ने ‘आतंकवादी’ घोषित किया था.

वॉशिंगटन पोस्ट ने ये दावा भी किया है कि भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोवाल को भी संभवत: रॉ के इस प्लान की जानकारी थी, लेकिन इस दावे का कोई आधार नहीं बताया गया है.

 

Mario Nawfal
@MarioNawfal
🚨🇮🇳 INDIA’S ASSASSINATION PLOTS IN US EXPOSED
Investigations reveal RAW (India’s Foreign Intelligence Agency) directed plots to assassinate Sikh activists in the US, stirring tensions in U.S.- India strategic relations.
Canadian PM Trudeau’s claims of RAW’s involvement in the killing of Sikh leader Hardeep Singh Nijjar in Vancouver last year further highlighted the agency’s aggressive tactics.
Amidst these revelations, some in India have defended India’s right to kill on Foreign Land, citing U.S. post-9/11 targeted killings as a precedent.
Western officials argue that the comparison is flawed as the U.S. operations occurred mainly in lawless regions, not in cities of allied democracies.
Meanwhile, the scandal seems to bolster PM Modi’s image at home, with his bold declarations of a “New India” resonating with his supporters during the ongoing national elections.
Source: The Washington Post

 

अमेरिका के आरोप निखिल गुप्ता का नाम

बीते साल नवंबर में अमेरिका ने दावा किया था कि भारतीय नागरिक निखिल गुप्ता ने न्यूयॉर्क में अलगाववादी नेता की हत्या के लिए एक व्यक्ति को भाड़े पर लिया था, जिसके बदले एक लाख डॉलर (करीब 83 लाख रुपये) दिए गए थे.

अमेरिकी कोर्ट में पेश किए गए दस्तावेज़ों में कहा गया है कि निखिल गुप्ता को भारत सरकार के एक कर्मचारी से निर्देश मिले थे.

निखिल गुप्ता को बीते साल जून में अमेरिका के अनुरोध पर चेक गणराज्य में गिरफ्तार किया गया था. अमेरिका ने उन पर एक भारतीय सरकारी कर्मचारी के निर्देश पर पन्नू की हत्या के लिए हत्यारों की व्यवस्था करने का आरोप लगाया है.

अमेरिका ने इस मामले को शीर्ष स्तर पर भारत के सामने उठाया. भारत के विदेश मंत्रालय के तत्कालीन प्रवक्ता अरिंदम बागची ने एक बयान जारी कर कहा था कि “भारत इन आरोपों को गंभीरता से ले रहा है और इसे लेकर एक उच्चस्तरीय कमेटी बनायी गई है जो मामले के हर पहलू की जांच कर रही है.”

बागची ने कहा था, “हम पहले ही बता चुके हैं कि अमेरिका के साथ द्विपक्षीय सुरक्षा सहयोग पर वार्ता के दौरान, अमेरिकी पक्ष ने कुछ इनपुट साझा किए थे जो संगठित अपराधियों, आतंकवादियों, हथियारों के कारोबारियों के नेक्सस के बारे में थे. भारत ने इसकी जांच के लिए विशेष जांच समिति गठित की है.”


पन्नू हैं कौन?
अमेरिका में रहने वाले गुरपतवंत सिंह पन्नू ‘सिख फ़ॉर जस्टिस’ के संस्थापक और वकील हैं.

खालिस्तान की माँग को आगे बढ़ाने के लिए पन्नू ने ‘रेफरेंडम-2020’ अभियान शुरू किया था.

इसके तहत पंजाब और दुनिया भर में रहने वाले सिखों को ऑनलाइन वोट करने के लिए कहा गया था, लेकिन वोटिंग से पहले ही भारत सरकार ने 40 वेबसाइटों को खालिस्तान समर्थक बताकर उन पर प्रतिबंध लगा दिया था.

यह संगठन ख़ुद को मानवाधिकार संगठन बताता है, लेकिन भारत इसे ‘आतंकवादी’ संगठन घोषित कर चुका है.

पन्नू की ओर से आए धमकी वाले वीडियो और फ़ोन कॉल्स को लेकर भारत में कई मुकदमे दर्ज हैं. उन्हें जुलाई 2020 में भारत ने आतंकवादी घोषित किया था.

भारत के गृह मंत्रालय का कहना है कि पन्नू सीमा पार और विदेशी धरती से आतंकवाद की विभिन्न घटनाओं में शामिल हैं.

गृह मंत्रालय के मुताबिक़, पन्नू राष्ट्र विरोधी गतिविधियों और खालिस्तान मूवमेंट में शामिल हैं और पंजाब में आतंकवाद को पुनर्जीवित करने की कोशिश करते हुए देश को अस्थिर करने का प्रयास कर रहे हैं.

इससे पहले गृह मंत्रालय ने 10 जुलाई 2019 को आतंकवाद रोधी क़ानून, यूएपीए के तहत ‘सिख फ़ॉर जस्टिस’ संगठन पर भी प्रतिबंध लगा दिया था.

कनाडा में निज्जर की हत्या और भारत पर कनाडा का आरोप
बीते साल जून में कनाडा के ब्रिटिश कोलंबिया में खालिस्तान समर्थक नेता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या कर दी गई थी.

इसके बाद कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने कनाडा की संसद में कहा था कि हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारतीय एजेंसियों का हाथ हो सकता है.

ट्रूडो ने कहा कि कनाडा ने भारत के साथ निज्जर हत्याकांड से जुड़े ‘पुख्ता आरोप’ साझा किए हैं. हालांकि ये सार्वजनिक तौर पर ऐसी जानकारी साझा नहीं की गई है.

भारत ने कहा था कि निज्जर हत्याकांड में कनाडा की ओर से किसी ‘खास’ या ‘संबंधित’ जानकारी पर भारत गौर करने के लिए तैयार है.

लेकिन भारत सरकार का कहना है कि कनाडा का ये आरोप बेबुनियाद है.

इसके बाद कनाडा ने भारत के शीर्ष राजनयिक को निष्कासित कर दिया. जवाबी कार्रवाई में भारत ने भी कनाडा के शीर्ष राजनयिक भारत छोड़ने का आदेश दिया.

भारत ने कनाडा को अपने राजनयिकों की संख्या घटाने के लिए कहा है कनाडा को 41 राजनयिक वापस बुलाने पड़े.