देश

आईपीसी की जगह लाया गया भारतीय न्याय संहिता विधेयक पुलिस को दमनकारी शक्तियों का इस्तेमाल करने की अनुमति देता है : कपिल सिब्बल

भारत के पूर्व क़ानून मंत्री और सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल का कहना है कि औपनिवेशिक काल की भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की जगह लाया गया भारतीय न्याय संहिता विधेयक राजनीतिक उद्देश्यों के लिए पुलिस को दमनकारी शक्तियों का इस्तेमाल करने की अनुमति देता है।

राज्यसभा सदस्य सिब्बल ने यह भी कहा कि इस तरह के क़ानून लाने के पीछे सरकार का एजेंडा विरोधियों को ख़ामोश करना और लोकतंत्र को ख़त्म करना है।

ग़ौरतलब है कि आपराधिक क़ानूनों में आमूल-चूल बदलाव करने के लिए मोदी सरकार ने शुक्रवार को आईपीसी, सीआरपीसी और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह लोकसभा में तीन विधेयक पेश किए, जिनमें अन्य चीज़ों के अलावा, राजद्रोह क़ानून को निरस्त करने और अपराध की एक व्यापक परिभाषा का नया प्रावधान है।

सिब्बल ने अपने एक ट्वीट में लिखाः भारतीय न्याय संहिता बीएनएस राजनीतिक उद्देश्यों के लिए पुलिस को दमनकारी शक्तियों के इस्तेमाल की इजाज़त देती है।

उन्होंने यह भी कहा कि बीएनएस पुलिस हिरासत की अवधि 15 दिन से 60 या 90 दिन तक करने की अनुमति देता है। एजेंडा विरोधियों को ख़ामोश करने का है।

ग़ौरतलब है कि भारतीय संसद के इस सत्र में कई विधेयक कुछ मिनटों की चर्चा या बिना चर्चा के ही पास कर दिए गए हैं।

भारतीय संसद से जुड़े आंकड़ों का अध्ययन करने वाली संस्था पीआरएस के मुताबिक़, मॉनसून सत्र के दौरान लोकसभा में पारित हुए कुल 22 विधेयकों में से 20 विधेयकों पर एक घंटे से भी कम समय तक चर्चा हुई।