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इज़राइल की ऐतिहासिक वास्तविकता क्या है? : पार्ट – 01

कश्मीरा एण्ड शहरयार
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इज़राइल की ऐतिहासिक वास्तविकता क्या है? पार्ट -01
जब से इस पृथ्वी पर मनुष्यों का इतिहास प्रारंभ हुआ है तभी से उनको इस पृथ्वी पर किस प्रकार जीवन व्यतीत करना है और मनुष्यों की रचना का उद्देश्य क्या है यह बताने के लिए ईश्वर की और से इंसानों ही में से कुछ लोगों को चुना गया । जिनको विभिन्न भाषाओं में (प्रोफेट, नबी , संदेष्टा , ऋषि आदि ) कहा गया । और यह सिलसिला प्रोफेट आदम अलैहिस्सलाम (प्रथम मनु ) से अंतिम संदेष्टा (बुद्ध , कल्कि अवतार ) प्रोफेट मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम पर समाप्त होता है ।
यहूदी , ईसाई और मुस्लिमों का यहां तक कि हिंदू धर्म का इतिहास भी प्रोफेट इब्राहीम अ. से जुड़ा हुआ है , ब्रह्म का शब्द प्रोफेट अब्राहम से तथा ब्राह्मण उनके अनुयायियों की और इशारा देता है । इन चारों धर्मों के ग्रंथों में समान रुप से प्रोफेट नूह के समय के सैलाब का वर्णन मिलता है , जो इस बात की और इशारा करता है कि विश्व के इन मुख्य धर्मों का मूल एक ही है । प्रोफेट इब्राहीम से पहले जितने भी प्रोफेट हुए उन्होंने अलग अलग क्षेत्रों में और विभिन्न जातियों में ईश्वरीय नियमों को आम जन तक पहुंचाया । यहूदी ईसाई और मुस्लिम उन सभी पैगम्बरों को ईश्वरीय मानते हैं । परंतु जहां से इन तीनों पंथों का उदय हुआ वो कड़ी प्रोफेट इब्राहीम अ. से जुड़ती है,

हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम के दो बेटे थे जिनमें बड़े बेटे का नाम इस्माइल और दूसरे का नाम इस्हाक़ था । हज़रत इस्माईल को साथ लेकर हज़रत इब्राहीम ने लगभग 4000 वर्ष पूर्व जहां मक्का आज मक्का स्थित है वहां काबे का पुनर्निर्माण किया जो तूफानी नूह के समय ढह गया था , और इस्माईल अ.अपनी मां हज़रत हाजरा के साथ यही आबाद हो गये । और हज़रत इस्हाक़ ने अपने पिता और माँ हज़रत सारा के साथ फलस्तीन की जमीन को अपना ठिकाना बनाया ।
हज़रत इब्राहीम (अ.) ने फ़िलिस्तीन के क्षेत्र में एक इबादत गाह भी बनवाई । हज़रत इब्राहीम और हज़रत इसहाक (उन पर शांति हो) वहां पूजा करते थे, लेकिन हज के लिए वह हमेशा मक्का में काबा जाते थे।