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इस्राईलियों का ज़बरदस्त तरीक़े से शिकार कर रहे हैं फ़िलिस्तीनी : ख़ास रिपोर्ट

इस्राईलियों का ज़बरदस्त तरीक़े से शिकार कर रहे हैं फ़िलिस्तीनी

ज़ायोनी शासन के अपराधों के जवाब में फ़िलिस्तीनी मुजाहिदीन ने दक्षिणी ग़ज़्ज़ा में हमलावर शासन के कई ज़ायोनी सैनिकों को मार गिराया।

फ़िलिस्तीन के इस्लामी प्रतिरोध आंदोलन हमास की सैन्य शाखा इज़्ज़ुद्दीन क़स्साम ब्रिगेड ने कहा है कि उसके नौजवानों ने टीबीजी रॉकेटों से दक्षिणी ग़ज़्ज़ा के पश्चिमी ख़ान यूनिस में अमल नामक क्षेत्र में एकत्र हुए इस्राईली सैनिकों को निशाना बनाया।

प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार इस ऑपरेशन में तीन सैनिक मारे गये। ख़बरों में बताया गया है कि इन जवानों के शव इजरायली हेलीकॉप्टर से अस्पताल पहुंचाए गए।

अल-क़स्साम ब्रिगेड ने घोषणा की है कि उसके एक स्नाइपर ने अल-ज़ैतून क्षेत्र में एक ज़ायोनी सैनिक को सीधे निशाना बनाया है।

क़स्साम ब्रिगेड ने यासीन मिसाइल 150 से अल-ज़ैतून के दक्षिणी इलाके में एक इस्राईली मर्कावा टैंक को भी निशाना बनाया है।

क़स्साम ब्रिगेड के बयान में बताया गया है कि इस इलाक़े में एक और ज़ायोनी सैनिक भी मारा गया है।

पेरिस ओलंपिक, इस्राईली खिलाड़ियों पर प्रतिबंध लगाने की मांग उठी

फ्रांसीसी संसद के कई सदस्यों ने ज़ायोनी शासन को 2024 पेरिस ओलंपिक में भाग लेने से रोकने की मांग की है।

इर्ना के अनुसार, फ्रांसीसी संसद के 26 सदस्यों ने अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति के प्रमुख थॉमस बाख को पत्र लिखकर ज़ायोनी शासन के ख़िलाफ़ कार्रवाई की मांग की है।

थॉमस बाख के नाम पत्र में फ्रांसीसी संसद के 26 सदस्यों ने ज़ायोनी शासन द्वारा ग़ज़्ज़ावासियों के क्रूर नरसंहार की निंदा की।

फ्रांसीसी संसद के विपक्षी दलों के सदस्यों ने ज़ायोनी शासन के ख़िलाफ़ दंड और अनुशासनात्मक उपायों की मांग की।

उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि जब तक ग़ज़्ज़ा में दीर्घकालिक युद्धविराम की घोषणा नहीं हो जाती, तब तक ज़ायोनी शासन की ओलंपिक में भागीदारी पर से प्रतिबंध नहीं हटाया जाना चाहिए।

ब्रिटेन की ओर से ज़ायोनियों के लिए हथियारों का निर्यात भी है ग़ज़्ज़ा युद्ध की एक मुश्किल

मानवाधिकार संगठनों का मानना है कि अवैध ज़ायोनी शासन के लिए हथियारों की बिक्री, अन्तर्राष्ट्रीय नियमों के लिए गंभीर ख़तरा है।

पश्चिमी देशों में जर्मनी के साथ ब्रिटेन को अवैध ज़ायोनी शासन के मुख्य समर्थक के रूप में देखा जाता है। ब्रिटेन की ओर से ज़ायोनी शासन को जिन हथियारों का निर्यात किया जाता है जिनके माध्यम से वह फ़िलिस्तीनियों का जनसंहार करता है।

लंदन के उच्चतम न्यायालय ने ब्रिटेन के बने हुए हथियारों को इस्राईल निर्यात को निलंबित करने के फैसले को रद्द कर दिया है। लंदन के न्यायालय का यह निर्णय एसी स्थति में आया है कि जब मानवाधिकारों के बहुत से संगठनों ने जनवरी 2024 को ब्रिटेन के सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया था कि इस्राईल को स्पेयर पार्ट और हथियारों की बिक्री जारी रखने पर रोक की समीक्षा की प्रक्रिया को वह तेज़ कर दे। मानवाधिकारों के इन संगठनों का मानना है कि अवैध ज़ायोनी शासन के लिए हथियारों की बिक्री, अन्तर्राष्ट्रीय नियमों के लिए गंभीर ख़तरा है।

ब्रिटेन ने सन 2022 में इस्राईल को 53 मिलयन डालर के हथियार बेचे थे। ग़ज़्ज़ा की पट्टी में फ़िलिस्तीनियों के विरुद्ध ज़ायोनियों के बढ़ते अपराधों के कारण इस्राईल के लिए हथियारों के निर्यात को रुकवाने के लिए फ़िलिस्तनियों के समर्थकों की मांगें बढ़ती जा रही हैं। अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय ने फरवरी 2024 के मध्य में हालैण्ड से मांग की थी कि वह ज़ायोनी शासन की वायुसेना के लिए एफ-35 युद्धक विमानों के कल-पुर्ज़ों के निर्यात को रोक दे क्योंकि इनही युद्धक विमानों से ग़ज़्ज़ा पर बमबारी की जा रही है। ज़ायोनियों के मुख्य समर्थक संयुक्त राज्य अमरीका के स्ट्रैटेजिक घटक के रूप में ब्रिटेन, ज़ायोनियों के कूटनीतिक और सैनिक समर्थन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता आ रहा है।

हमास के अलअक़सा तूफ़ान आपरेशन और उसके बाद ग़ज़्ज़ा में फ़िलिस्तीनियों के विरुद्ध ज़ायोनियों के हमलों के बावजूद ब्रिटेन और वहां के राजनैतिक दल कई बार तेलअवीव के साथ अपने समर्थन का एलान कर चुके हैं। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने ग़ज़्ज़ा युद्ध के दौरान इस्राईल की यात्रा की और वहां पर नेतनयाहू से भेंटवार्ता की।अमरीका और जर्मनी के चांस्लर के साथ ही ब्रिटेन के प्रधानमंत्री भी ग़ज़्ज़ा युद्ध के आरंभ में वहां पर संघर्ष विराम के प्रयासों का विरोध कर चुके हैं। अबजबकि, अवैध ज़ायोनी शासन ग़ज़्ज़ा पट्टी के रफह क्षेत्र पर हमला करना चाहता है जिसका हर ओर विरोध हो रहा है, एसे में ब्रिटेन ने विश्व जनमत के विरोध के दृष्टिगत इस बारे में अपनी रणनीति निर्धारित की है।

इस संदर्भ में अमरीका की ब्लूमबर्ग पत्रिका ने ब्रिटिश अधिकारियों के माध्यम से रिपोर्ट दी है कि रफ़ह पर ज़ायोनियों के हमले की स्थिति में यह हो सकता है कि लंदन, तेलअवीव को हथियारों की स्पलाई पर रोक लगा दे। हालांकि अभी तो यह एक संभावना ही है। हालांकि अगर देखा जाए तो ब्रिटेन की राजधानी लंदन सहित वहां के बहुत से नगरों में पिछले चार महीनों के दौरान फ़िलिस्तीनियों के समर्थन में व्यापक स्तर पर प्रदर्शन हुए है जिसमें बहुत बड़ी संख्या में लोगों ने भाग लिया है। यह प्रदर्शनकारी, ग़ज़्ज़ा में जातीय सफाए और जनसंहार को तत्काल रोकने की मांग, पूरी निर्भीकता के साथ कर रहे हैं।