विशेष

एक गुफ़ा हुआ करती थी, जहाँ मैं थी औऱ एक योगी….योगी ने जब बाजुओं में ले कर मेरी….!!

स्वामी देव कामुक//fb
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अगर तुम किसी से प्रेम करो
तो इतना असीम करना….
कि तुम्हारा प्रेम
और ईश्वर की पूजा
एक जैसी लगे,
हवन सा सुगंधित हो
प्रेम का सुलगना!!
मैंने नहीं पढ़े है वेद, पुराण
मैं नही जानता शास्त्र
किंतु तुम्हारी हथेलियों के स्पर्श से
मेरे लिखे प्रेम की
बिरह कथाएं अमर हो जाएंगी
सदा के लिए।
और किसी सात्विक मंत्र सा
प्रतिध्वनित होता रहेगा
युगों युगों तक
मेरे मन के देवग्रह में
“तुम्हारा स्वामी देव” …..

स्वामी देव कामुक
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पुरुषो के संवेदनशील अंग, छूते ही होती है उत्तेजना ।।
हमने अक्सर सुना है की महिलाओ को उत्तेजित करने के लिए उनके शरीर के कुछ खास अंगो को छूना पड़ता है जैसे की उनके स्तन, होंठ, कान आदि| इनसे महिलाएं उत्तेजित हो जाती है और सेक्स में अपना भरपूर सहयोग देती है| लेकिन पुरुषो के शरीर में भी कामेच्छा बढाने वाले अंग होते है| ऐसे अंग जिन्हें छूने से उनके शरीर में उत्तेजना होती है|

1. होंठो का निचला हिस्सा
आमतौर पर महिलाओ को उत्तेजित करने के लिए पुरुष उनके होंठो पर चुम्बन करते है और ऐसे में महिलाये उत्तेजित हो जाती है लेकिन पुरुष होंठो से नहीं बल्कि उसके नीचे ठुड्डी पर किस करने या उस अंग को सहलाने से उत्तेजित होते है| ऐसे में पुरुषो का मन सेक्स के लिए करने लगता है और सेक्स के लिए तैयार होने लग जाते है|

2. निप्पल
जिस तरह से महिलाओ को उत्तेजित करने के लिए या उनकी सेक्स इक्षा बढाने के लिए निप्पल को चूसा या काटा जाता है उसी तरह पुरुषो के भी इस अंग में खास कामेच्छा होती है| पुरुषो के निप्पल को काटने या चूसने पर वो उत्तेजित होते है और उन्हें गुदगुदी होती है जो की उन्हें सेक्स के प्रति लालायित कर देती है| इसीलिए किसी पुरुष को उत्तेजित करने के लिए आप उसके निप्पल को काटे|

3.पैरो में
अगर सेक्स के दौरान या उससे पहले कोई महिला बड़े प्यार से पुरूष के पैरो को चूमती है तो उनके मन में सेक्स को लेकर इक्षा बढने लगती है और वो सेक्स को लेकर और अधिक उत्तेजित हो जाते है| ये पुरुषो के शरीर में एक खास उत्तेजना भरा अंग होता है जो उनकी सेक्स इक्षा बढाने के लिए पर्याप्त होता है|

4. नाभि के आसपास
जिस तरह से महिलाओ को नाभि के आसपास चूमने या काटने से हल्का मीठा दर्द होता है और उनकी कामेच्छा बढती है वैसा ही पुरुषो के साथ भी होता है| अगर आपका पार्टनर सेक्स के लिए तोयार नहीं हो रहा है तो आप उसके इस अंग विशेष पर किस कीजिए इसे सहलाएं जिससे इसकी कामेच्छा बढने लग जाएगी और वो सेक्स के लिए तैयार होने लग जाएगा| सेक्स के दौरान या उससे पहले पुरुष के नाभि में खास उत्तेजना होती है|

5. बालो को सहलाना
यह काम करने से पुरुष रोमांटिक हो जाते है और बहुत जल्दी होते है| जब एक महिला बड़े प्यार से किसी पुरुष के बाल में हाथ फेरती है और उसके गालो में किस करती है तो पुरुष की सेक्स इक्षा आसमान में चढने लगती है और उसे सेक्स करने

स्वामी देव कामुक
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जब तुमने किसी स्त्री में सौन्दर्य देखा, अगर तुम्हारी आँखे उज्जवल हो , अगर तुम्हारे भीतर समझ का दीया जलता हो, तो तुम पाओगे: यह परमात्मा की छवि झलकी ! तुम स्त्री के प्रेम में न पड़ोगे; स्त्री के माध्यम से परमात्मा के प्रेम में पड़ोगे !
जब भी प्रेम हो , तो परमात्मा को खोजना; पदार्थ पर मत अटक जाना ! पदार्थ पर अटके—-तो वासना और परमात्मा की सूझ-बूझ मिलने लगे–तो प्रार्थना ! पदार्थ पर अटके तो नीचे की तरफ गये —कीचड़ की तरफ और अगर परमात्मा की सुध-बुध स्मरण आने लगे , तो चले ऊपर की तरफ ! पंख लगे तुम्हे ! उड़े तुम आकाश की तरफ ! अनंत की यात्रा पर निकले !
मैं जिस प्रेम की बात कर रहा हूँ , वह इसी दृष्टि का नाम है !
पदार्थ में क्या सौन्दर्य हो सकता है ? शब्द में क्या सार हो सकता है ? शब्द के पार से आता है सार ! हां , शब्दों में झलकता है ! जैसे दर्पण में कोई प्रतिबिंब झलकता है ! जैसे रात आकाश में चाँद-तारे हो, और झील में झलकते हों ! मगर झील में डुबकी मत मार लेना — खोजने के लिए चाँद-तारे ! अभी जो चाँद पर यात्री गये, वे अपना रॉकेट लेकर और झील में नही घुस जाते, तो कुछ न पाते ! वहां चाँद नही है ! वहां सिर्फ चाँद झलकता है !
इसलिए संसार को ज्ञानियो ने माया कहा है ! यहां असली है नही—सिर्फ झलकता है! यहां असली स्वप्नवत है ! यहां असली की परछाई पड़ती है; प्रतिबिंब बनता है ! यहां असली की प्रतिध्वनि सुनाई पड़ती है ! —- ओशो
( कहै कबीर मैं पूरा पाया )

स्वामी देव कामुक
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एक गुफ़ा हुआ करती थी
जहाँ मैं थी औऱ एक योगी
योगी ने जब बाजुओं में ले कर
मेरी साँसों को छुआ
तब अल्लाह क़सम !
यही महक़ थी जो उस के होंठों से आयी थी–
यह कैसी माया कैसी लीला कि
शायद तुम ही कभी वह योगी थे
या वही योगी है–
जो तुम्हारी सूरत में मेरे पास आया है
औऱ वही मैं हूँ… औऱ वही महक़ है…
‘अमृता प्रीतम’

डिस्क्लेमर : लेख में व्यक्त विचार लोगों के निजी विचार हैं, तीसरी जंग हिंदी का कोई सरोकार नहीं है