साहित्य

कल्लन मिर्ज़ा ने अपने जीवन में डेढ़ लाख क़िले बनवाये थे!

Ranjeet Singh Rajput

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एक वास्तविक घटना ओह घटना नहीं दुर्घटना 😉

वर्तमान पाकिस्तान में स्थित लुनागढ़ रियासत के पहले नवाब थे नवाब कल्लन मिर्जा। उनके बारे में प्रसिद्ध है कि वे अपने दौर के बेहतरीन लड़ाकू थे। जब वे गधे पर बैठ कर जंगे मैदान में उतरते तो आधे से अधिक दुश्मन उनकी लचकती कमर देख कर ही शहीद हो जाते थे।

उनकी आँखें बिल्कुल हिरनी जैसी थीं। ऐसी कि जो देख ले वो उसी में डूब कर मर जाय। वे अपनी रियासत के जिस हिस्से में चले जाते, उस हिस्से के लोग अपनी मर्जी से लगान दुगुना कर देते थे। यह उनकी करामाती आंखों का कमाल था।

एक बार लुनागढ़ पर अंग्रेजों ने आक्रमण कर दिया। अंग्रेज सेनापति डगलस टोंटी एक महानतम योद्धा था। उसके साथ दस लाख की फौज थी, और लगभग एक लाख तोपें थी।

नवाब साहब को जब अंग्रेजों की इस हरकत का पता चला तो उनका चंगेजी खून खौल उठा। उन्होंने खुद लड़ाई में उतरने का फैसला कर लिया।

नवाब साहब के खानदान में किसी ने भी कभी लड़ाई में भाग नहीं लिया था। वे हमेशा भाड़े के सैनिकों से काम चलाते थे। पर मिर्जा कल्लन को यह रिकॉर्ड तोड़ना था। मिर्जा कल्लन अपनी डेढ़ करोड़ की सेना लेकर लाहौर के फुरफुरी मैदान में डट गए।

एक ओर अंग्रेजों की दस लाख की सेना तो दूसरी ओर नवाब साहब की डेढ़ करोड़ की सेना… एक तरफ डगलस टोंटी तो दूसरी ओर मिर्जा कल्लन।
दुनिया खौफ में आ गयी। लगा कि आज ही कयामत आ जायेगी।

अचानक मिर्जा कल्लन अपनी मुमताज नाम की गधी पर सवार हो कर अकेले ही अंग्रेजों की ओर बढ़ने लगे। उनकी बलखाती कमर, लहराते बाल, मचलती आंखें, थरथराते होठ, थिरकते पांव दुश्मनों में एक अलग ही खौफ पैदा करने लगे। मुस्कुराते कल्लन ठीक डगलस टोंटी के सामने जा खड़े हुए। आश्चर्य में डूबा डगलस टोंटी मिर्जा की आंखों में देखने लगा। अचानक मिर्जा ने अपनी बायीं आँख से आँख मार दी।

महान इतिहासकार रंगीला थप्पड़ ने अपनी पुस्तक ‘फर्जीनाम’ में लिखा है कि नवाब साहब के एक बार आँख मारने भर से अंग्रेजों की आधी सेना बेहोश हो गयी। डगलस टोंटी गिड़गिड़ाने लगा। उसने तुरंत सुलह कर ली और शपथ लिया कि अंग्रेज फिर कभी लुनागढ़ पर आक्रमण नहीं करेंगे।

कल्लन मिर्जा ने अपने जीवन में डेढ़ लाख किले बनवाये थे। लाहौर के अनारकली बाजार में उनका बनवाया मशहूर किला झोलु महल अब भी है, जिसकी आठवीं मंजिल से कूदने पर आदमी जमीन पर आने के बाद उछल कर फिर आठवीं मंजिल पर पहुँच जाता है। हजारों साइंसदान वहाँ की खुदाई कर चुके हैं, पर वह रहस्य नहीं खुल पाया है।

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