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काबा और उसके इर्दगिर्द सफ़ेद एहराम पहने हाजियों का समंदर : मदीना की फ़ज़ा से दिलनशीं रिपोर्ट : video

 

ख़ुदा की बारगाह की तरफ़ सफ़र शुरू हो गया है। अब सारे हाजियों के लेबास एक जैसे हो गए हैं। एक टुकड़ा कमर पर और एक टुकड़ा कांधे पर। हाजी मस्जिदे शजरा की तरफ़ जा रहे हैं मगर दिल मदीना की जुदाई पर ग़मगीन है…..मीक़ात पर पहुंचने के बाद हाजी अपनी निजता को भुला देते हैं और हाजियों का पूरा समूह एक अस्तित्व में विलीन हो जाता है।

एहराम बांध लेने के बाद सब काबे की तरफ़ रवाना हो गए। मस्जिदुल हराम में काबा मौजूद है और उसके इर्दगिर्द सफ़ेद एहराम पहने हाजियों का समंदर।नज़र काबे पर पड़ती है तो दिल की सबसे बड़ी आरज़ू ज़बान पर आ जाती है….हाजी इमामे ज़मान के ज़ाहिर होने की दुआ मांगते हैं। मक़ामे इब्राहीम के क़रीब दो रकअत नमाज़ पढ़ते हैं और सफ़ा व मरवा के बीच सई करते हैं। यह हज़रत हाजेरा की अमल है जिसे हाजी दोहराते हैं। वो सात बार सफ़ा पहाड़ी से मरवा पहाड़ी की तरफ़ पानी की तलाश में गईं यहां ज़मज़म नाम का जलसोता फूटा जिससे आज तक पानी निकलता है हाजी यहां भावुक हो जाते हैं….

अल्लाह ने हज़रत हाजेरा के अमल को हमेशा के लिए वाजिब कर दिया जिसे हाजी दोहराते हैं। सई के बाद उमराए तमत्तो ख़त्म होता और फिर हज्जे तमत्तो की शुरुआत होती है जिसमें हाजियों को इमाम ज़माना की ज़ियारत का इश्तेयाक़ होता है क्योंकि रवायत में है कि इमाम ज़माना हर साल हज करने के लिए आते हैं। हे इमामे ज़माना जब तक आप नहीं आएंगे उस वक्त तक इंसानियत की मुश्किलें दूर नहीं होंगी। सबसे फ़ज़ीलतों वाली इस सरज़मीं पर अल्लाह से दुआ है कि इमामे ज़माना के ज़ुहूर में जल्दी करे। मस्जिदुल हराम से आईआरआईबी के लिए महदी नक़वी की रिपोर्ट