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गुजरात दंगों में 97 मुसलमानों की हत्या की आरोपी कोडनानी को अदालत ने बरी किया

नई दिल्ली: 2002 नरोदा पाटिया दंगा मामले में गुजरात हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। हाईकोर्ट ने विशेष अदालत के फैसले को बदलते हुए भाजपा की पूर्व नेता माया कोडनानी को निर्दोष करार देते हुए बरी कर दिया है। इस फैसले से माया कोडनानी को बड़ी राहत मिली है, हालांकि पूर्व बजरंग दल नेता बाबू बजरंगी की सजा को बरकरार रखा गया है। इसके अलावा हरीश छारा और सुरेश लांगड़ा को भी हाईकोर्ट ने दोषी माना है।

माया कोडनानी के खिलाफ कोर्ट में 11 चश्मदीदों ने गवाही दी थी. इन 11 चश्मदीदों का कहना है कि उन्होंने दंगों के दौरान माया कोडनानी को नरोदा पाटिया में देखा था,लेकिन हाईकोर्ट ने मामले की जांच कर रही पुलिस की गवाही को सच माना. पुलिस का कहना है कि दंगों के दौरान माया कोडनानी के इलाके में रहने के कोई सुबूत नहीं मिले हैं. गौरतलब है कि मौजूदा BJP अध्यक्ष अमित शाह भी कोडनानी के पक्ष में गवाह दे चुके हैं।

अमित शाह ने कोर्ट को दिए अपने बयान में कहा था कि दंगों के दौरान माया कोडनानी गुजरात विधानसभा भवन में मौजूद थीं. वहीं हाईकोर्ट ने नरोदा पाटिया दंगों के लिए बाबू बजरंगी को दोषी करार दिया है. आपको बता दें कि बाबू बजरंगी को जिंदगी की आखिरी सांस तक कारावास की सजा सुनाई गई थी. बाबू बजरंगी के अलावा हरेश छारा, सुरेश लंगड़ा को भी दोषी करार दिया गया है।

हरेशा छारा के खिलाफ कोर्ट के सामने 13 चश्मदीदों ने बयान दिए. कोर्ट ने इनमें से 5 चश्मदीदों के बयानों को सही पाया. इन 5 चश्मीदीदों के मुताबिक, 28 फरवरी, 2002 को सुबह 11 बजे के करीब दंगों के दौरान छारा नरोदा पाटिया में मौजूद था और उसने घरों को आग लगाई।

16 साल पहले 28 फरवरी 2002 को अहमदाबाद के नरोदा पाटिया इलाके में सबसे बड़ा जनसंहार हुआ था. 27 फरवरी 2002 को गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस की बोगियां जलाने की घटना के बाद अगले रोज जब गुजरात में दंगे की लपटें उठीं तो नरोदा पाटिया सबसे बुरी तरह जला था. आपको बता दें कि नरोदा पाटिया में हुए दंगे में 97 लोगों की हत्या कर दी गई थी. इसमें 33 लोग जख्मी भी हुए थे।