विशेष

बिना पढ़े लिखे वसूलीबाज़ों ने जिले में खोल रखीं हैं ब्रांचें : ब्रजेश बादल पत्रकार की रिपोर्ट

Brajesh Badal Partaker
Lucknow, Uttar Pradesh
===============
बिना पढ़े लिखे वसुलीबाजों ने जिले में खोल रखीं हैं ब्रांचे
कहीं भी जुआ सट्टा होता संचालन तो फिर शरण में लाने का बनता प्लान, वीडियो ऑडियो रिकार्डिंग करने की भी रहती ब्रांच सदस्यों की जिम्मेदारी


उरई । सोशल मीडिया को हथियार बनाकर धन उगाही का उदाहरण शायद ही आपको कहीं ऐसा मिले। जिले में बड़े बड़े जुए और सट्टे के अड्डो के संचालन को टारगेट कर फिर अपने गैंग सदस्यों की गिनती के हिसाब से हर महीने अपने चारे की व्यवस्था करना वसूलीबाजों से बेहतर शायद ही कोई जानता हो। जिसकी गलत रिकॉर्डिंग की हो या केवल आबाज रिकार्ड करने में यह लोग सफल रहे हों लेकिन धन वसूलने के अंदाज ऐसा रहता है जैसे जयगढ़ राजस्थान में रखी विश्व की सबसे लंबी तोप दागने वाले हों। खुलकर सोशल मीडिया में रिकॉर्डिंग की बात लिखकर अपने ब्रांच सदस्यों के माध्यम से बिना हाजमोला के फीलगुड का सुखद अहसास करने की यह चौबीस घंटे फिराक में रहते हैं। बिना पढ़े लिखे बसूलीबाज पत्रकारों से जिले के अधिकारी से लेकर नेता, प्रधान कोटेदार यहाँ तक शिक्षक भी परेशान हैं। कोई छोटी मोटी कमीं पकड़ने पर अपने हाथ में मोबाइल को ऐसे उठाते हैं जैसे एके 56 दागने वाले हों। शहर के कोटेदारों से राशन तक वसूल कर यह लोग घर की रोटी की व्यवस्था तो करते ही है तो दिन भर में अगर किसी की रिकॉर्डिंग की बात अगर सोशल मीडिया में न पोस्ट की तो पेट्रोल की व्यवस्था की चिंता सताने लगती है। ऐसा नही है इनके इस हुनर की सब जगह आलोचना होती हो कुछ मास्साब टाइप के लोग सराहना भी करते हैं। कि आज तुमने यह पोस्ट डाली तो मेरे बाथरूम तक गूंज सुनाई दी। जिससे यह दिमाग से पैदल बसूलीबाज तुरंत अगले अंक में लिख कर जोश में आ जाते हैं।
अब जब वरिष्ठ पत्रकारों ने पत्रकारिता को बदनाम कर रहे इंसानों के डंपी वायरसों के विरुद्ध अभियान चला दिया है तो रिकॉर्डिंग बाज टेंशन में है ही उनकी ब्रांच सदस्य भी सदमे में है।