साहित्य

मोहताज…..इससे पूर्व भी एक बार मंदिर में मेरी चप्पलें गायब हो चुकी थी!

Tajinder Singh
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मोहताज…..
मेरी नई नई शादी हुई थी। घर मे सब मेहमान अभी थे ही। मेरे रिश्ते की सभी छोटी बहनों और भाइयों ने भाभी के साथ मंदिर जाने की जिद की। ये मंदिर एक छोटी सी पहाड़ी पर करीब दो किलोमीटर दूर था। हम सब दर्शनों के लिए पैदल ही चले गए।

वहां मेरे शादी वाले बाटा के नए मोकासिनो जूते चोरी चले गए। इससे पूर्व भी एक बार मंदिर में मेरी चप्पलें गायब हो चुकी थी। लेकिन किसी गुरुद्वारे में अभी तक ऐसा नही हुआ।
क्या मंदिर से चप्पलों के चोरी होने पर मैं धर्म को खराब बोल सकता हूँ? क्या वहां स्थित देवी देवता इसके लिए जिम्मेवार हैं।

नही…। ये दोष धर्म का नही बल्कि उस धर्म स्थल की व्यवस्था बनाये रखने वालों का है। लेकिन समस्या है कि लोग जिस संख्या में धर्म स्थल बना रहे हैं। उस हिसाब से उसकी व्यवस्था सही नही करते।

काफी दिनों पहले मैं पूरी के जगन्नाथ मंदिर गया था। वहां अंदर की व्यवस्था देख मन खिन्न हो गया। पहले तो बाहर जूते चप्पल रखने के लिए पैसे दीजिए। उसपर अंदर मुख्य दर्शन के स्थान के करीब ही इतनी गन्दगी कि उससे बदबू का एक भभका उठ रहा था। फूल, फल, पत्ते, पूजा की सामग्री आदि एक तरफ कचरे के ढेर के रूप में फेंकी गई थी। जिससे बदबू उठ रही थी। उसी के करीब खड़े होकर पंडे भक्तों से धार्मिक कृत्य भी सम्पन्न करा रहे थे। मुझे लगा कि ये पंडे निश्चित ही महान हैं जो इतनी गन्दगी में भी अपनी भक्ति में लीन हैं। सुनते हैं यहां ऊपरवाला बीमार भी पड़ता है। अब नीचे वाले इंसान के कष्टों से बेखबर हो ऊपरवाले की बीमारी पकड़ना और उसका इलाज करना निश्चित ही अद्भुत कौशल है।
अभी कुछ दिन पहले ये समाचार आया कि मंदिर में चूहों ने भगवान जी के कपड़े कुतर डाले। चूहों ने अंदर आतंक मचा रखा है। तो अंदर की कुव्यवस्था की ये परिणीति तो होनी ही थी।

खैर…अब मजेदार बात ये है कि एक भक्त ने चूहों को भगाने के लिए अर्थ इनोवेशन नाम की एक मशीन दी। लेकिन मशीन को कुछ दिन के ट्रायल के बाद ये कहते हुए हटा लिया गया कि ये बहुत आवाज करती है, इससे भगवान की नींद में खलल पड़ता है।

मैं नही जानता कि मनुष्य की इन हरकतों पर ऊपरवाला क्या सोचता होगा। लेकिन मनुष्य अपने ऊपरवाले को लेकर किस ढंग से सोचता है। इससे ये जरूर जाहिर हो जाता है।
शायद हमारा ऊपरवाला भी हमारा मोहताज ही है। हमारी मर्जी के बगैर वो कुछ कर ही नही सकता। उसका सोना, उठना, नहाना, धोना, खाना, पीना सब हमारी मर्जी पर निर्भर है।