उत्तर प्रदेश राज्य

Video:मेरठ नगर निगम में “वन्देमातरम्”को लेकर BJP-BSP पार्षदों के बीच चले लात घुसे-जमकर हुई मारपीट

मेरठ: मेरठ नगर निगम में शनिवार को एक बार फिर सदन की कार्यवाही हंगामे की भेंट चढ़ गई। वंदे मातरम गाने के मुद्दे और सदन में प्रस्तुत किये गए कुछ प्रस्तावों पर असहमति के बाद बीजेपी और बीएसपी के पार्षद आपस में भिड़ गए, जिसके कारण सदन की कार्यवाही को स्थगित करना पड़ा। बार-बार हो रहे हंगामे को देखते हुए मेयर ने ऐलान किया कि अब सदन की बैठक में वंदे मातरम का गायन नहीं किया जाएगा।

जानकारी के मुताबिक मेरठ के विकास के लिए पुनरीक्षित बजट पास करने और विकास का खाका खींचने के लिए शनिवार को सदन की बैठक बुलाई गई थी। इस बैठक की शुरुआत में जैसे ही वंदे मातरम शुरू हुआ, मुस्लिम सांसद अपनी सीट छोड़कर बैठक हॉल से बाहर चले गए। इसके बाद पार्षदों के लौटने पर फिर से सदन की कार्यवाही शुरू हुई, तो प्रस्तावों के मुद्दे पर बीजेपी और बीएसपी के पार्षद आपस में भिड़ गए। इस दौरान दोनों पार्टियों के पार्षदों के बीच जमकर मारपीट हुई।

विवाद को देखते हुए मेयर सुनीता वर्मा खुद बैठक हॉल से बाहर चली गईं। इस हंगामे और मारपीट के विरोध में निर्दलीय पार्षद नीरज ठाकुर अर्धनग्न होकर सदन की जमीन पर ही बैठ गए और धरना शुरू कर दिया।

विवाद के खिलाफ धरने पर पार्षद

धरनारत पार्षद नीरज सिंह ने कहा कि क्षेत्र की जनता विकास के लिए तरस रही है। बजट सत्र पर चर्चा करने के लिए दो बार सदन बुलाया जा चुका है, लेकिन सिवाय हंगामे के यहां पर कुछ नहीं होता। उन्होंने कहा कि अगर ऐसी ही स्थिति रही तो हम आने वाले समय में जनता को क्या जवाब देंगे।

उन्होंने कहा कि सदन में ऐसे कई पार्षद मौजूद हैं, जो सिर्फ अखबारों में सुर्खियां बटोरने के लिए ही सदन में हंगामा करते रहते हैं। वहीं, पूरे विवाद के बाद मेयर सुनीता वर्मा ने कहा कि आने वाले समय में सदन की किसी बैठक में अब वंदे मातरम नहीं गाया जाएगा, बल्कि अब सिर्फ उसकी धुन बजाई जाएगी।

13 मार्च को भी हुआ था बैठक में हंगामा

बता दें कि इससे पूर्व 13 मार्च को भी मेरठ नगर निगम की बैठक के दौरान जमकर विवाद हुआ था। शनिवार को हुई बैठक से पूर्व 13 मार्च को बजट पर चर्चा के लिए सदन की बैठक बुलाई गई थी। इस दौरान पार्षदों के बीच कहासुनी शुरू हो गई और फिर बात हाथापाई तक पहुंच गई। बीएसपी और बीजेपी विधायकों के बीच हुए इस विवाद के बाद आनन-फानन में मौके पर पुलिस बल बुलाया गया, जिसके बाद दोनों पक्षों को अलग करके सदन की कार्यवाही को निरस्त कर दिया गया।