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अब टिहरी में मज़ार पर चला हथौड़ा, देवभूमि में 1000 से अधिक मज़ार, मंदिर चिन्हित!

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अब टिहरी में मजार पर चला हथौड़ा, 20 साल पहले स्थापना का किया गया दावा…

टिहरी: उत्तराखण्ड में वन विभाग ने टिहरी रेंज के चंद्रबदनी अनुभाग के ग्राम दखोली में बीस साल पुरानी मजार को ध्वस्त कर दिया। पिछले महीने वन विभाग ने मजार को हटाने के संबंध में नेाटिस जारी किया था। आरक्षित वन भूमि पर बनी मजारों को ध्वस्त करने का सिलसिला चल रहा है।टिहरी रेंज के रेंज अधिकारी आशीष डिमरी ने बताया कि चंद्रबदनी क्षेत्र के दखोली गांव के पास जंगल में लगभग बीस साल पहले यह मजार बनाई गई थी।\

बीते अप्रैल माह में वन विभाग ने मजार को हटाने के निर्देश दिये थे। लेकिन उसके बाद भी मजार नहीं हटाई गई तो वन विभाग और प्रशासन की टीम ने मजार को ध्वस्त कर दिया। इस दौरान ग्राम प्रधान करम सिंह, पंकज सेमवाल आदि मौजूद रहे।

सरकारी भूमि पर बने 14 मजार व मंदिर सहित कई अवैध निर्माण कराए ध्वस्त…
वहीं विकासनगर में एसडीएम के नेतृत्व में पुलिस व राजस्व विभाग की संयुक्त टीम ने क्षेत्र में सरकारी जमीन पर बने 14 मजार व अन्य अवैध निर्माण को बुल्डोजर से धराशाई करा दिया। प्रशासन की ओर से सरकारी जमीनों से अतिक्रमण हटाने का क्रम कई दिनों से चल रहा है, जो आगे भी जारी रहेगा। सरकारी भूमि पर अतिक्रमण हटाने के अभियान के तहत क्षेत्र अंतर्गत राजस्व विभाग व पुलिस विभाग की संयुक्त कार्रवाई की गई। कोतवाली विकासनगर क्षेत्रांतर्गत राजकीय भूमि में अवैध रूप से निर्मित विकासनगर में 2, बरोटीवाला में 1, गोकुलवाला खेडा में एक, जीतगढ में 2,भोजावाला, हरबर्टपुर में 2, मटकमाजरी में 2, कुन्जा में 1,कुल्हाल में 1, शाहपुर-कल्याणपुर में दो मजारों व अन्य निर्माण का ध्वस्तीकरण कर राजकीय भूमि को कब्जा मुक्त कराया गया।

 

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देवभूमि में 1000 से अधिक मजार, मंदिर चिन्हित, सरकारी जमीन पर बने होने का आरोप। 314 मजार और 35 मंदिर जमींदोज…

 

जंगलों में बने मजारों और दरगाहों का नही मिल रहा कोई भी वारिस,अधिकतर मजारों का संचालन करते मिले हिंदू धर्म के लोग…

उत्तराखंड में सड़क से लेकर जंगल तक और शहर से लेकर गांव तक वन भूमि पर मजार स्थापित होने की शिकायत हुई। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर जांच हुई तो एक हजार के आसपास मजारें पाई गईं। लिहाजा, इन पर अब बुलडोजर चलाया जा रहा है।

अब जब विशेष अभियान के तौर कार्रवाई शुरू हुई तो खुफिया एजेंसियां भी चौकन्नी हो गई हैं। अधिकतर मजारों को तोड़े जाने का कहीं कोई विरोध भी नहीं हो रहा है। बहुत से लोग इन्हें मुस्लिम समाज से जोड़कर देखते हैं, जबकि अधिकतर मजारों के संचालन करते हिंदू समाज के लोग पाए गए हैं।

नोडल अधिकारी डॉ. पराग मधुकर धकाते के अनुसार, वन भूमि पर अतिक्रमण हटाने से पहले वन अधिनियम के तहत नोटिस भेजे जाने की कार्रवाई की जाती है, लेकिन अधिकतर मजारों के मामलों में कोई वारिस सामने नहीं आ रहा है। ऐसे में निर्विघ्न रूप से मजारों को तोड़े जाने की कार्रवाई की जा रही है। अब तक प्रदेशभर में 314 मजारों को तोड़ा जा चुका है। 35 मंदिर भी हटाए गए हैं। यह सभी धार्मिक स्थल वन भूमि पर अतिक्रमण कर बनाए जाने की पुष्टि हुई है।