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नीतीश कुमार और ललन सिंह विवाद : जितने मुंह उतनी बातें, ख़ासकर भाजपा ख़ेमे से….

बिहार विधानसभा में तीसरे नंबर की पार्टी जनता दल यूनाईटेड के अंदर सबकुछ ठीक है, यह कहना शायद ‘ठीक’ नहीं। होता तो 29 दिसंबर को दिल्ली में होने वाली राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के ठीक पहले 25 दिसंबर को पटना में पूर्व मुख्यमंत्री दिवंगत कर्पूरी ठाकुर के नाम पर होने वाला जदयू का बड़ा कार्यक्रम रद्द नहीं होता। इस बार अपेक्षाकृत बहुत कम ठंड है, इसलिए सर्दी के आधार पर कार्यक्रम रद्द होने की बात सहज नहीं। बात उतनी नहीं। कभी जदयू के टूटकर राजद में विलय की चर्चा आ रही, कभी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के कुर्सी छोड़ने की, कभी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह को हटाकर खुद उस कुर्सी पर बैठने की।  इस बीच नीतीश कुमार खुद ललन सिंह के घर पर पहुंचकर भी इन अटकलों पर विराम नहीं लगा पा रहे।

 

 

 

Chandan Sharma
@ChandanSharmaG
बिहार में सियासी हलचल बढ़ चुका है।
कहा जा रहा है कि लालू यादव के दबाव में आकर नीतीश कुमार ने अपनी सबसे करीबी और दाहिने हाथ माने जाने वाले ललन सिंह को JDU अध्यक्ष पद से हटा दिया है।

बिहार की राजनीति में इसका क्या असर हो सकता है? यह अभी देखने को मिलेगा

ललन सिंह का असली नाम राजीव रंजन सिंह हैं जो जाति से भूमिहार ब्राह्मण हैं, वे मुंगेर लोकसभा क्षेत्र से सांसद हैं, ललन सिंह बिहार प्रदेश अध्यक्ष भी रह चुके हैं, वो जेडीयू के संस्थापक सदस्यों में से एक रहे हैं, जेपी आंदोलन में भी ललन सिंह शामिल हो चुके हैं, नीतीश कुमार और उनकी अटूट दोस्ती का ही नतीजा है कि वे लंबे अरसे से पार्टी के साथ बने हुए हैं

जदयू के अंदर बात नहीं, भाजपा के अंदर खूब
मंगलवार को एक बार फिर ललन सिंह के जदयू अध्यक्ष पद से हटने की अटकलों ने जोर पकड़ा। इस बार उन्हें हटाए जाने की अटकल नहीं, बल्कि खुद हटने की। बड़े नेताओं ने स्पष्ट तौर पर खंडन किया। जदयू कोटे से बिहार के वरिष्ठ मंत्री और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के आसपास दिखने वाले विजय कुमार चौधरी ने दो दिन पहले भी इस बात का खंडन किया था। अब भी किया। इसके पहले ललन सिंह ने ऐसी तमाम अफवाहों पर साफ-साफ कहा था कि यह भाजपा में खाली पड़े नेताओं की दिमागी उपज है। इसी क्रम में जब भाजपा के नेताओं से बात की गई तो पता चला कि जदयू से ज्यादा भाजपा में नीतीश कुमार की पार्टी को लेकर खबरें हैं। केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सम्राट चौधरी और पूर्व उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी तो दुहरा भी रहे हैं कि जदयू टूटने वाला है, राजद में विलय होने वाला है, कुछ लोग भाजपा में आएंगे, ललन सिंह की कुर्सी जाएगी… वगैरह-वगैरह। भाजपा के प्रदेश कार्यालय में दो कदम आगे भी चर्चा है। जैसे- “नीतीश कुमार को पता चल गया है कि ललन सिंह उनके खिलाफ साजिश रच रहे थे, इसलिए उनसे मिलकर कह आए हैं कि खुद इस्तीफा सौंप दें।” जितने मुंह उतनी बातें, खासकर भाजपा खेमे से।

तो, जदयू में क्या होने वाला है और कब- यह भी जानें
जदयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक 29 दिसंबर को दिल्ली में है। उस बैठक की पार्टी में पूरी तैयारी है। जदयू के वरिष्ठ नेता केसी त्यागी इस तैयारी में अहम भूमिका निभा रहे हैं। त्यागी ने ही स्वीकार किया था कि इंडी एलायंस की बैठक में प्रधानमंत्री पद को लेकर किसी नाम का प्रस्ताव नहीं किए जाने की बात थी। मतलब, जदयू में इस बात के असंतोष की पुष्टि सिर्फ त्यागी ने की थी। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और जदयू अध्यक्ष ललन सिंह भी इसे नकार चुके थे। इसलिए, बात तो है। 29 नवंबर को इस बात पर चर्चा होगी, यह पक्का है। इसके अलावा राजद-कांग्रेस के साथ सीट बंटवारे पर भी बात होगी और आम आदमी पार्टी या किसी अन्य की एंट्री पर भी पार्टी का फैसला होगा। जहां तक ललन सिंह के हटने का सवाल है तो ऐसा होने का मतलब है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और जदयू अध्यक्ष का दावा बेकार गया। और, अगर अध्यक्ष को लेकर दावा गलत साबित होता है तो यह भी पक्का मान लिया जाएगा कि जदयू में टूट की खबर सही थी और इंडी एलायंस में नाराजगी की बात भी पक्की थी। यह सबकुछ 29 दिसंबर को तय होगा। उसके पहले कुछ हुआ तो बाकी दोनों बातों को नकारने के लिए शायद मुख्यमंत्री का सामने आना मुश्किल होगा।