देश

27 वर्षों से फ्ररार था ”टिल्लू”, साधु के वेश में मंदिरों में छिपकर रह रहा था,दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा ने धर लिया!

दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा ने हत्या के आरोपी कानपुर, यूपी निवासी टिल्लू (77) को गिरफ्तार किया है। आरोपी हत्या के इस मामले में 27 वर्षों से फरार था। इसने पुलिस से बचने के लिए साधु का भेष धारण कर लिया था और अलग-अलग मंदिरों में छिपकर रह रहा था। पुलिस ने आरोपी की पहचान करने के लिए उत्तराखंड में कई मंदिरों में भंडारा वितरित करने के लिए स्वयंसेवक के रूप में काम किया।

अपराध शाखा के पुलिस उपायुक्त अमित गोयल के अनुसार मूलरूप से मैनपुरी यूपी निवासी व तुगलकाबाद में रह रही सुनीता ने चार फरवरी, 1997 को पुलिस को शिकायत दी थी कि उनके पति किशनलाल तुगलकाबाद एक्सटेंशन में एक निजी सफाईकर्मी के रूप में काम करते थे। तीन फरवरी की शाम सवा पांच बजे उसके पति को रिश्तेदार रामू बुलाकर ले गया था। उससके बाद उसके पति नहीं लौटे। सुनीता ने जब अपने भाई के साथ जाकर रामू के घर जाकर देखा तो रामू के घर पर ताला लगा हुआ था। जब उन्होंने खिड़की से देखा तो घर के अंदर खून फैला हुआ था। उन्होंने इसकी सूचना पुलिस को दी। पुलिस ने मौके पर पहुंच कर दरवाजा खोला तो उनके पति का शव खाट पर पड़ा हुआ था। रामू के सभी परिजन और रिश्तेदार फरार थे। अदालत ने रामू और टिल्लू को 15 मई 1997 को भगोड़ा घोषित कर दिया था।

इंस्पेक्टर मनमीत मलिक की देखरेख में हवलदार अमरीश कुमार व राजेश कुमार भगोड़ा बदमाशों की तलाश कर रही थी। राजेश को हत्या के आरोपी कानपुर, यूपी निवासी टिल्लू की सक्रियता के बारे में पता लगा। यह भी पता चला कि आरोपी के मोबाइल नंबर का इस्तेमाल हरिद्वार और ऋषिकेश समेत उत्तराखंड में कई धार्मिक स्थानों के पास हो रहा है।

यह भी पता चला कि आरोपी एक संत बन गया था और देश भर में मंदिरों में जाता था और विभिन्न धर्मशालाओं में रहता था। 2023 में, उनकी मूवमेंट कन्याकुमारी में थी। ओडिशा के जगननाथ पुरी के बाद उसकी लोकेशन पता नहीं लग रही थी। जांच के बाद इंस्पेक्टर मनमीत मलिक की देखरेख में एसआई नरेश कुमार, सुनील पंवार, हवलदार अमरीश कुमार, हवलदार अमरीश कुमार की टीम ने घाट नंबर 3, गीता भवन, ऋषिकेश, उत्तराखंड के पास से गिरफ्तार कर लिया गया।

गुस्से में कर दी थी हत्या
आरोपी ने खुलासा किया कि उसकी पत्नी की बेटी के जन्म के बाद 1994 में मृत्यु हो गई। अपनी पत्नी की मृत्यु के बाद वह बेटी के साथ अपनी बहन के घर दिल्ली आ गए। उसकी बहन और उसका जीजा अपने परिवार के लिए एक नया घर खरीदना चाहते थे लेकिन उनका मृतक किशन लाल के साथ कुछ विवाद था। तीन अप्रैल, 1997 को रामू ने उनके बीच वित्तीय विवाद पर चर्चा करने के लिए किशन लाल को अपने घर पर बुलाया। बातचीत के दौरान मामला इतना बढ़ गया कि किशन लाल ने उसे और रामू को परिणाम भुगतने की धमकी दी। इस पर दोनों आरोपी उत्तेजित हो गए और आपस में झगड़ने लगे। इस झगड़े में किशनलाल की हत्या कर दी गई। इसके बाद वे अपने परिवार के सदस्यों के साथ मौके से फरार हो गए।

रामदास के नाम पर बनवाया आधार कार्ड
आरोपी टिल्लू वहां से कानपुर चले गए और अपना पता बदल लिया। उसने अपनी पहचान भी बदल ली। आरोपी ने रामदास निवासी बदायूं, यूपी के नाम से आधार कार्ड बनवाया। जांच एजेंसी से बचने के लिए उसने खुद को संत का भेष बनाकर देश भर के धार्मिक स्थलों पर घूमना शुरू कर दिया। 1947 में पैदा हुआ टिल्लू उर्फ रामदास का पिताकानपुर ऑर्डिनेंस फैक्टरी में काम करते थे। उनका परिवार ऑर्डिनेंस फैक्टरी की आवासीय कॉलोनी के सरकारी आवास पर रहता था।