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China Challenge to IMF : चीन चली नई चाल?

China Challenge to IMF: चीन ने 2013 में बेल्ट एंड रोड इनशिएटिव (बीआरआई) शुरू किया था। उसके तहत वह विभिन्न देशों में अब तक 900 बिलियन डॉलर खर्च कर चुका है। लेकिन 2017 के बाद उसने आपात ऋण देने की शुरुआत भी कर दी है…

इस खबर ने पश्चिमी राजधानियों में चिंता बढ़ा दी है कि चीन ने हाल के वर्षों में कर्ज संकट में फंसे कई देशों को अरबों डॉलर का नया कर्ज दिया है। चीन के इस कदम को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) को दी गई चुनौती के रूप में देखा जा रहा है। सबसे पहले ये खबर ब्रिटिश अखबार द फाइनेंशियल टाइम्स ने छापी। उसके बाद इस पर कई टिप्पणियां प्रकाशित हुई हैं।

अमेरिकी पत्रिका फोर्ब्स ने बताया है कि चीन का इस रूप में ‘आपात ऋण’ देना इस बात का संकेत है कि अब चीन अल्पकालिक कर्ज भी देने लगा है। अब तक माना जाता था कि चीन सिर्फ इन्फ्रास्ट्रक्चर निर्माण के लिए लंबी अवधि के कर्ज देता है। पत्रिका ने कहा है कि ये ऐसी घटना है, जिसका मोटे पर पहले किसी को अनुमान नहीं था।

चीन ने 2013 में बेल्ट एंड रोड इनशिएटिव (बीआरआई) शुरू किया था। उसके तहत वह विभिन्न देशों में अब तक 900 बिलियन डॉलर खर्च कर चुका है। लेकिन 2017 के बाद उसने आपात ऋण देने की शुरुआत भी कर दी है। एडडेटा नाम की रिसर्च एजेंसी के मुताबिक इस पहल के तहत सबसे ज्यादा कर्ज श्रीलंका, पाकिस्तान और अर्जेंटीना को दिया गया है। उनके अलावा यूक्रेन, बेलारुस, वेनेजुएला, इक्वाडोर, केन्या, अंगोला, लाओस, मिस्र, मंगोलिया को भी चीन की इस पहला का लाभ मिला है। इन देशों को अलग-अलग कितनी रकम दी गई है, उसकी जानकारी उपलब्ध नहीं है।

कुछ समय पहले विश्व बैंक के अनुसंधानकर्ताओं ने कहा था कि चीन कर्ज देने के मामलों में पूरी गोपनीयता की शर्त लगाता है। उन अनुसंधानकर्ताओं ने बताया था कि चीन से कर्ज लेने वाले देशों में तकरीबन 60 फीसदी निम्न आय वाले देश हैं। इनमें से बहुत से देश भी अभी कर्ज संकट में फंसे हुए हैं। चीन ने उन्हें आपात ऋण देने की शुरुआत की है। इससे उसने तमाम देशों को यह संदेश दिया है कि उनके पास ऐसे कर्ज के लिए आईएमएफ के अलावा भी एक स्रोत मौजूद है।

फाइनेंशियल टाइम्स ने अपनी रिपोर्ट कहा है कि चीन ने बीआरआई परियोजना के लिए जिन दिशों को कर्ज दिया था, उन्हें डिफॉल्ट से बचाने के लिए अब वह आपात ऋण दे रहा है। एडडेटा के कार्यकारी निदेशक ब्रैडली पार्क्स ने फाइनेंशियल टाइम्स को बताया- ‘चीन ने बिना आर्थिक अनुशासन बरतने या दूसरे देशों के कर्ज को रिस्ट्रक्चर करने की शर्त लगाए संकट में फंसे देशों को कर्ज दिया है, ताकि उनकी अर्थव्यव्यस्था ठप ना हो।’ आईएमएफ ऐसे देशों को कर्ज देने के पहले कड़ी शर्तें लगाता है।

विशेषज्ञों के मुताबिक इस नई जानकारी का मतलब यह है कि वैश्विक स्तर पर कर्ज संबंधी वार्ताओं में अब चीन की बड़ी भूमिका बन गई है। लेकिन पश्चिमी विशेषज्ञों की राय है कि चीन की इस पहल से कर्ज संकट दूर नहीं होगा। आईएमएफ के पूर्व अर्थशास्त्री गैब्रियेल स्टर्न ने कहा है कि चीनी कर्ज ने संबंधित देशों में ऋण संकट को महज कुछ समय के लिए टाला भर है। ये देश इसलिए चीन से कर्ज लेना पसंद कर रहे हैं कि इस स्थिति में उन्हें आईएमएफ की शर्तों के मुताबिक ‘आर्थिक सुधार की पीड़ा’ से नहीं गुजरना पड़ता है।