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इस साल का नोबेल शांति पुरस्कार जेल में बंद ईरान की मानवाधिकार कार्यकर्ता नरगिस मोहम्मदी को दिया गया!

इस साल का नोबेल शांति पुरस्कार जेल में बंद ईरान की मानवाधिकार कार्यकर्ता नरगिस मोहम्मदी को दिया गया है.

मानवाधिकार के क्षेत्र में किए कामों के लिए 51 साल की नरगिस को 2011 के बाद से कई बार जेल हुई है.

नरगिस को ये पुरस्कार ईरान में औरतों के हक और मानवाधिकार की रक्षा को लेकर किए कामों के चलते दिया गया है.

नरगिस ‘डिफ़ेंडर ऑफ़ ह्यूमन राइट्स सेंटर’ की उप प्रमुख हैं, जिसकी स्थापना नोबेल पुरस्कार जीत चुकीं शिरीन एबादी ने की थी.

दुनियाभर की 100 प्रेरणास्पद और प्रभावी महिलाओं की बीबीसी के ‘100 वुमन’ सूची में भी नरगिस शामिल रही हैं.

नोबेल पुरस्कार विजेता चुनने वाली कमेटी के अनुसार, नरगिस मोहम्मदी ने ईरान में महिलाओं के दमन के ख़िलाफ़ कई लड़ाई लड़ी और देश में सबके मानवाधिकार, आज़ादी के लिए संघर्ष करती रही हैं.

The Nobel Prize
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BREAKING NEWS
The Norwegian Nobel Committee has decided to award the 2023 #NobelPeacePrize to Narges Mohammadi for her fight against the oppression of women in Iran and her fight to promote human rights and freedom for all.

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31 साल की सज़ा सुनाई गई

ओस्लो में नॉर्वेजियन नोबेल कमेटी की प्रमुख बेरिट रीस-एंडर्सन ने कहा, “ईरानी सरकार ने उन्हें 13 बार गिरफ़्तार किया, पांच बार दोषी ठहराया गया और 31 साल जेल की सज़ा सुनाई गई. अभी भी वो जेल में हैं.”

नरगिस मोहम्मदी को शांति पुरस्कार देने का नोबेल कमेटी का ये फैसला देश में महिलाओं के शुरू किए गए आज़ादी के आंदोलनों के एक साल बाद आया है.

बीते साल सितम्बर 2022 में 22 साल की महशा अमीनी की मॉरल पुलिस की हिरासत में मौत के बाद ये आंदोलन शुरू हुए थे.

जल्द ही पूरे देश में व्यापक विरोध प्रदर्शन फैल गए और औरतों की आज़ादी से लेकर सत्ता पलटने तक की मांग सामने आई.

महिलाओं ने सार्वजनिक रूप से बाल कटवाए और हेड स्कार्फ़ की होली जलाई. प्रदर्शनकारियों ने “महिलाएं, ज़िंदगी, आज़ादी” के नारे लगाए.