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जैसे-जैसे रात का अंधेरा बढ़ता है, वहां शुरू हो जाती है ‘काल’ की पूजा, ऐसी पूजा जिसमें इंसानों की बलि चढ़ाई जाती है : रिपोर्ट

जैसे-जैसे रात का अंधेरा बढ़ता है, वहां शुरू हो जाती है ‘काल’ की पूजा। ऐसी पूजा। उसमें इंसानों की बलि चढ़ाई जाती है। उसमें देवता को खुश करने के लिए वो तमाम चीज़ों का सहारा लिया जाता है, जिसकी पढ़े-लिखे समाज में कोई कल्पना भी नहीं कर सकता। लेकिन एक यह भी हकीकत है देश के सबसे पढ़े-लिखे राज्य केरल की। तंत्र-मंत्र, योग-साधना और बलि, ये शब्द शायद सुनने में थोड़े अजीब लगें। लेकिन आज जो बातें हम आपको बताने जा रहे हैं, वो इन्हीं खौफनाक शब्दों को सच साबित करती हैं।


Sᴀɢᴀʀ
@SagarAmbedkar07
लॉर्ड बिलियन बेंटिक ने 1830 में नरबलि प्रथा पर प्रतिबंध लगाया ,,, देवी देवताओं को प्रसन्न करने के लिए ब्राह्मण द्वारा शूद्र की मंदिर में सर काटकर भगवान को बलि दी जाती थी।

अंधविश्वास में नरबलि
क्या आप सोच सकते हैं कि आज भी कोई इंसान की बलि दे सकता है। क्या आप सोच सकते हैं कि कोई किसी को सिर्फ ऐसी साधना के लिए मौत के घाट उतार सकता है? लेकिन ये सच है। केरल के पठानमथिट्ठा जिले के एक शहर थिरुवल्ला में दो महिलाओं की बलि दे दी गई है। पुलिस ने खुद बताया कि इस बलि की वजह था- काला जादू। अपने तंत्र को पूरा करने के लिए पति-पत्नी ने चार महीने के अंदर दो महिलाओं को मौत के घाट उतार दिया।

दो महिलाओं का कत्ल
एर्नाकुलम जिले से पदमाम नाम की महिला पिछले महीने अचानक लापता हो गई थी। उसके परिवारवालों ने पुलिस में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज करवाई। छानबीन की तो शक की सुई पतनमतिट्टा जिले में रहने वाले भगवल सिंह और उनकी पत्नी लैला तक पहुंची। पुलिस ने दोनों को गिरफ्तार किया तो उन्होंने जो सच उगला वो हैरान करने वाला था। भगवल सिंह ने बताया कि अपने घर में समृद्धि लाने के लिए उन्होंने पदमा की बलि दे दी। पहले पदमा का गला रेता गया और फिर उसके शरीर के छोटे-छोटे टुकड़े करके दफना दिया गया।

नीरवकुमार
@Neeravkumar41
नरबलि प्रथा – अंग्रेजो ने 1830 में नर बलि प्रथा पर रोक लगाई (इस प्रथा मे ब्राह्मण देवी देवताओं को प्रसन्न करने के लिए शूद्रों की स्त्री और पुरुष दोनों को मंदिर मे सिर काट करचढा देते थे
सही और मूल निवासीओ पर हुए अत्याचारों को जानने केलिए मुझेफलो करे

शरीर को काटकर दफनाया
इतना ही नहीं एक और बात सामने आयी वो ये थी कि चार महिने पहले भी ये कपल एक और महिला की बलि दे चुका था। एर्नाकुलम से ही जून में रोसेलिन भी लापता हो गईं थीं। तबसे उनका कोई पता नहीं चल पाया था । भगवल ने बताया कि पदमा की तरह ही रोसेलिन शरीर को भी छोटे-छोटे हिस्सों में काटकर दफनाया गया था। दोनों ही महिलाओं की उम्र पचास साल के आसपास थी। चार महिने के अंदर ये लोग काले जादू को लेकर दो महिलाओं की जान ले चुके हैं। भगवल और लैला की इस काम में उनके एक और साथी रशीद उर्फ मोहम्मद शमी ने मदद की।

ये कैसा अंधविश्वास?
रशीद ने लॉटरी बेचने वाली इन महिलाओं से सोची-समझी साजिश के तहत सोशल साइट्स के जरिए दोस्ती की और उनके करीब आया और फिर किडनैपिंग की। किडनैपिंग के बाद रशीद ने इन महिलाओं को भगवल और लैला के हवाले कर दिया। जरा सोचिए ये कैसी मानसिकता है जहां अपने घर में समृद्धि लाने के लिए कोई इंसानों की बलि चढ़ा दे, लेकिन आप ये सुनकर हैरान हो जाएंगे कि आज भी केरल के कई इलाकों में इस तरह की तंत्र साधना का खौफनाक काम किया जाता है। आज भी घरों में लोग काले जादू जैसी बातों को तवज्जो देते हैं।


Ramdeep Mishra
@ramdeepmishra11
महिला के 56 टुकड़े किए, पकाकर खाया!

तंत्र साधना का गांव!
केरल के थ्रीसूर जिले का पैरिगोतुकारा गांव…यहां तंत्र साधना के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं। बड़े-बड़े बिजनेसमैन, सेलेब्रेटी, टीवी कलाकार, राजनेता सभी इस गांव के चक्कर लगाते हैं । इस गांव का एक-एक घर बेहद अलग नज़र आता है। बाहर से देखकर ही आप समझ जाएंगे कि यहां कुछ अलग होता है। काले सफेद-रंग से पुते ये घर जिनपर कीड़े-मकौड़ों की तस्वीरे चिपाकाई गई हैं, देखने में ही बेहद डरावने नज़र आते हैं। कहते हैं इन घरों में काला जादू किया जाता है। दूर-दूर से लोग सिद्धि के लिए यहां के तांत्रिकों के पास आते हैं। मकान की चाह हो, बिजनेस में तरक्की चाहिए या दुश्मनों का अंत करना हो, हर तरह के काम करने के लिए यहां तंत्र-मंत्र का दावा किया जाता है।

आस्था या अंधविश्वास?
मान्यता है कि यहां भगवान विष्णु के काले रूप की पूजा होती है। ऐसा रूप जिसमें भगवान विष्णु भैंस पर सवार होते हैं। विष्णु के इस रूप को यहां के लोग कुट्टीचतन या चतन के नाम से जानते हैं। यहां के लोगों का मानना है कि अगर विष्णु का ये रूप रूठ गया तो ज़िंदगी में कोई भी अनिष्ट या अनहोनी हो सकती है और अगर आपने इस रूप को मना लिया तो समझो आपके सारे कष्ट मिट जाएंगे और आपको मनचाही मुराद मिल जाएगी। इसी वजह से ये गांव तंत्र साधना का बड़ा केन्द्र बना हुआ है। केरल देश का सबसे पढ़ा-लिखा राज्य लेकिन वहां पर जब इस तरह के मामले देखने को मिलते हैं तो बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है।


पहले भी आई नरबलि की खबरें
केरल ही नहीं देश के कई हिस्सों में अक्सर नरबलि के मामले सामने आते हैं। दो साल पहले कानपुर में एक 6 साल बच्ची ऐसी ही मानसिकता का शिकार बनी। कानपुर में रहने वाले एक पति-पत्नी ने खुद की संतान पाने के लिए गांव की बच्ची को अगवा करवाकर उसका कत्ल करवाया। बच्ची को ये दोनों काली मंदिर में ले गए, वहां तंत्र साधना की और फिर बच्ची का कलेजा उसका दिल और फेफड़े को दोनों पति-पत्नी से मिलकर खा लिया। ये किया गया इस अंधविश्वास की वजह से कि ऐसा करके उन्हें खुद की संतान मिलेगी।

अपनी ही बेटी को मार डाला
इसी तरह का अंधविश्वास का एक मामला अभी कुछ दिन महिनों पहले महाराष्ट्र से भी सामने आया। नागपुर में एक माता-पिता ने अपनी 16 साल की बेटियों पीट-पीटकर मारा डाला, वजह थी अंधविश्वास। लड़की के माता-पिता को किसी ने बताया कि आपकी बेटी के ऊपर बुरी शक्तियों का साया है और उन्हीं बुरी शक्तियों को भगाने के लिए माता-पिता ने अपनी बेटी को इतना पीटा कि उसकी मौत हो गई।

बच्चे की चाह में दो कत्ल
इसी तरह का एक मामला पिछले साल मध्यप्रदेश के ग्वालियर में भी सुर्खियों में रहा। यहां एक पति-पत्नी ने काले जादू के नाम पर दो सेक्स वर्कर की जान ले ली। इस कपल को ने किसी तांत्रिक के कहने पर ये दो कत्ल किए। दरअसल संतान पाने को लेकर ये लोग एक तांत्रिक से मिले, उस तांत्रिक ने इनसे कहा कि अगर आप दो हत्याएं कर देंगे तो आपको जल्दी औलाद का सुख मिलेगा। बस इस अंधविश्वास ने दो महिलाओं की जान ले ली।

केरल हो या फिर कोई और शहर, इस तरह के मामले मानसिक बीमारी को दर्शाते हैं और पढ़े-लिखे लोग भी इसकी चपेट में आते हैं। आस्था के नाम पर अंधविश्वास को बढ़ावा देने का ये काम बेहद खतरनाक साबित होता है। इस काम को करने वाले बेशक धर्म की आड़ में खुद को बचाते रहें, लेकिन ऐसे काम का नतीजा बेहद खौफनाक होता है।

रेनू जोशी | नवभारतटाइम्स.कॉम