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तालेबान के साथ तनावग्रस्त होते पाकिस्तान के संबन्ध, पाकिस्तान ने दी कड़ी चेतावनी

पाकिस्तान ने सीमा पर प्रदर्शन करने वाले अफ़ग़ान नागरिकों को कड़ी चेतावनी दी है।

पाकिस्तान के सीमावर्ती क्षेत्र चमन की पुलिस ने अफ़ग़ानिस्तान से मिलने वाली सीमा पर प्रदर्शन कर रहे लोगों चेतावनी देते हुए कहा है कि सुरक्षा कारणों से उनको यह काम या तो समाप्त करना चाहिए या फिर यह काम किसी दूसरे स्थान पर जाकर करना चाहिए।

पुलिस का कहना है कि अगर वहां पर कोई घटना घटती है तो इसकी पूरी ज़िम्मेदारी प्रदर्शनकर्ताओं पर आएगी। लगभग एक महीना पहले पाकिस्तान की सरकार ने इस देश में रहने वाले ग़ैर क़ानूनी पलायनकर्ताओं को इस देश से निकल जाने का समय दिया था। पाकिस्तान की सरकार का मानना है कि देश के भीतर उत्पन्न होने वाले सुरक्षा संकट का कारण यहां पर ग़ैर क़ानूनी ढंग से रहने वाले अफ़ग़ानी नागरिक हैं।

इसके अतरिक्त पाकिस्तान की सरकार का यह भी मानना है कि इस देश में बहुत सी सामाजिक बुराइयों का संबन्ध भी यहां पर रहने वाले विदेशी पलायनकर्तओं से है। माना यह जा रहा है कि अफ़ग़ानी पलायलकर्ताओं की ओर से सीमा पर किया जाने वाला यह प्रदर्शन, एक प्रकार से पाकिस्तान पर अपने आदेश में पुनर्विचार करने पर प्रेरित करने के उद्देश्य से है।

पाकिस्तान के अंतरिम प्रधानमंत्री अनवारुल हक़ ने फैसला किया है कि देश में प्रविष्ट होने वाले लोगों के पास पासपोर्ट होना ज़रूरी है। इसके अतिरिक्त देश में प्रवेश के लिए किसी अन्य डाक्यूमेंट की ज़रूरत नहीं है। उनका कहना है कि यह अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर स्वीकार किया गया क़ानून है जिसका अनुसरण हर देश में किया जाता है।

हालांकि तालेबान का यह मानना है कि पाकिस्तान की सरकार ने उनसे दुश्मनी के कारण अफ़ग़ानिस्तान के नागरिकों को वहां से बाहर किया है। वे कहते हैं कि पाकिस्तान को अफ़ग़ानिस्तान के पलायनकर्ताओं के मामले को द्विपक्षीय संबन्धों से अलग रखना चाहिए। दूसरी ओर पाकिस्तान ने तालेबान के इस विचार को रद्द कर दिया है। इस्लामाबाद का कहना है कि अपने नागरिकों की ज़िम्मेदारियों से बचने के लिए तालेबान एसी बातें कर रहे हैं।

पाकिस्तान का कहना है कि उनके देश में वर्षों से अवैध ढंग से रहने वाले अफ़ग़ानी पलायनकर्ताओं के मामले का हमेशा के लिए समाधान होना चाहिए। इसी के साथ अगर इस्लामाबाद के इस क़दम को तालेबान की ओर से दुश्मनी में उठाया गया क़दम माना जाएगा तो उनको जान लेना चाहिए कि अपने सबसे बड़े समर्थक से अलग होने की तालेबान को भारी क़ीमत चुकानी पड़ सकती है।

हालांकि पाकिस्तान पहले से तालेबान की इसलिए अधिक आलोचना करता आ रहा है कि यह गुट, पाकिस्तान के तालेबान का समर्थन करता है जो अफ़ग़ानिस्तान की भूमि से पाकिस्तान पर हमले करते रहते हैं। तालेबान के सत्ता में आने के बाद से इन हमलों की संख्या में उल्लेखनीय ढंग से वृद्धि हुई है।