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तुर्की के आर्थिक संकट से भारत पर पड़ रहा है बुरा असर-रुपया हुआ धड़ाम,देखिए कैसे होंगे बुरे हालात ?

नई दिल्ली: अमेरिका की तरफ से लगाई गई पाबंदी के बाद तुर्की के सिर पर आर्थिक संकट मंडरा रहा है जिसका असर सिर्फ तुर्की ही पर नही बल्कि और दूसरे कई देशों पर भी पड़ने वाला,तुर्की के लीरा का प्रभाव भारतीय रुपये पर भी काफी पड़ रहा है,क्योंकि तुर्की में जारी इस आर्थ‍िक संकट ने डॉलर को मजबूती देने का काम किया है. इसका ही असर है कि भारत में रुपया कमजोर होता जा रहा है. मंगलवार को रुपये ने 70 का आंकड़ा छू लिया है।

पिछले काफी समय से रुपये में चल रही गिरावट को देखते हुए व‍िशेषज्ञों ने आशंका जताई थी कि रुपया डॉलर के मुकाबले 70 का स्तर पार कर सकता है. मंगलवार को विशेषज्ञों की यह आशंका भी सच हो गई है. मंगलवार को पहली बार रुपया डॉलर के मुकाबले 70 के पार पहुंच गया.

मंगलवार को डॉलर के मुकाबले मजबूत शुरुआत करने के बाद रुपये में गिरावट शुरू हो गई और यह 70.07 के स्तर पर डॉलर के मुकाबले पहुंच गया. रुपये में आ रही इस गिरावट के लिए तुर्की में जारी आर्थिंक संकट को जिम्मेदार माना जा रहा है.

विशेषज्ञों का कहना है कि तुर्की मुद्रा लिरा के डॉलर के मुकाबले काफी ज्यादा गिरने से डॉलर लगातार मजबूत हो रहा है. इसका सीधा असर रुपये पर पड़ रहा है.

जानिए क्या है तुर्की आर्थ‍िक संकट ?

दरअसस तुर्की में आर्थ‍िक संकट पैदा हो गया है. पिछले तकरीबन 4 सालों से यहां की इकोनॉमी मुश्क‍िलों से गुजर रही है. ग्रोथ के मामले में कभी चीन और भारत की कतार में खड़ा होने वाला तुर्की आज पिछड़ गया है. इसका व्यापार घाटा और बढ़ता कर्ज इसके लिए बड़ी मुसीबत बन गया है. यहां महंगाई काफी तेजी से बढ़ रही है. इसकी वजह से तुर्कीश लिरा, जो कि यहां की मुद्रा है डॉलर के मुकाबले काफी गिर गई है।

डॉलर के मुकाबले गिर रही तुर्की की करंसी:

पिछले एक साल के दौरान तुर्कीश लिरा डॉलर के मुकाबले 45 फीसदी तक गिर गई है. मार्केट एक्सपर्ट सचिन सर्वदे कहते हैं कि रुपये में जारी गिरावट के लिए तुर्की का आर्थ‍िक संकट जिम्मेदार है. वह बताते हैं कि तुर्की एक इमरजिंग मार्केट है. निवेशकों के मन में ये डर बैठ गया है कि अगर तुर्की जैसे इमरजिंग मार्केट में ये हो सकता है, तो दूसरे इस तरह के मार्केट में भी ऐसा संकट तैयार हो सकता है।

आरबीआई लगातार दे रहा है दखल

रुपये के 70 का आंकड़ा पार करने के बाद भारतीय रिजर्व बैंक कोई अहम कदम उठा सकता है. इस पर सचिन कहते हैं कि आरबीआई लगातार रुपये और डॉलर के बीच संतुलन बनाए रखने के लिए दखल दे रहा है. ये उसके दखल का ही परिणाम है कि रुपये में गिरावट काफी धीमी गति से हो रही है.

आगे क्या है संभावना

सचिन कहते हैं कि तुर्की रिस्क मार्केट बन चुका है. इसकी वजह से शॉर्ट टर्म पैन‍िक हो गया है. जिसका सीधा असर डॉलर के मुकाबले रुपये पर देखने को मिल रहा है. उन्होंने कहा कि अगर तुर्की आर्थ‍िक संकट से जल्द नहीं संभलता है, तो रुपये में आगे भी गिरावट जारी रह सकती है. हालांकि रुपये में गिरावट की दर धीमी होगी।