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#अरुणाचल प्रदेश के ‘ज़ीरो घाटी’ कब जाएं और कैसे !!तस्वीरें देखें!!….By – Mamta Singh

Mamta Singh
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सवाल: 5 अरुणाचल प्रदेश के ‘जीरो घाटी’ कब जाएं और कैसे?
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सुबनसिरी जिले में स्थित जीरो घाटी अरुणाचल प्रदेश का एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल है। साल भर यहां पहुंचा जा सकता है। यहां पहुंचने के लिए अच्छी कनेक्टिविटी है।

मालूम हो कि बीते 7-8 साल में रूरल टूरिज्म, इको टूरिज्म, फार्म टूरिज्म, वाइन टूरिज्म और रिस्पांसिबल टूरिज्म के क्षेत्र में जीरो घाटी उभर रही है। कंेद्र और राज्य सरकार की होम स्टे को बढ़ावा देने को लेकर चल रही योजनाओं का लाभ यहां लोगों को मिल रहा है। यह बात भी काबिलेगौर है कि अमूमन सभी होम स्टे का संचालन पूर्ण रूप से प्रशिक्षित महिलाएं ही कर रही हैं।

यदि आप जीरो पहुंच गए हैं तो सबसे पहले आप वाहन से ही करीब 20 किमी क्षेत्र में फैली जीरो वैली की घूम लीजिए। यहां के अपातानी जनजातीय लोग धान के साथ मछली पालन कैसे करते हैं, यदि यह आपको देखना हो तो आप खेतों के मेड़ों से गुजरते हुए जरूर देखिए। यानी काफी छोटी और खूबसूरत जगह है।


यहां हमें एक गांव दिखा जिसका नाम था हरि गांव। इस गांव से होकर हम जंगलों की ओर गए जहां हमने कई कीवी गार्डन देखे। ग्याती लोडर बताते हैं कि कीवि, दालचीनी, एप्पल, पैशन फ्रूट के अलावा गांव में लोग अब एवोकाडो की भी खेती करने लगेे हैं। यहां युवा उद्यमी तागे रीता की आर्गेनिक कीवि वाइनरी देखना हो तो आप ‘नारा आबा’ वाइनरी जा सकते हैं और खरीद सकते हैं।

प्रमुख पर्यटन स्थल
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सूखे और सी लेक
मेघना गुफा मंदिर या कार्दो शिवलिंग
मिडी
तारिन फिश फार्म
किल पाखो
डोलो मंडो ट्रैकिंग

कैसे पहुंचे
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यहां पहुंचने के लिए दो रास्ते हो सकते हैं। एक तो असम के डिब्रूगढ़ शहर से बोगीबिल ब्रिज से नार्थ लखिमपुर होते हुए सड़क मार्ग से यहां पहुंचा जा सकता है। डिब्रूगढ़ से करीब 85 किलोमीटर की दूरी आपको तय करनी होगी।


जोरी वैली के जाने-माने व्यवसायी ग्याति लोडर ने बताया कि राजधानी ईटानगर से 14 किलोमीटर दक्षिण में होलौंगी एयरपोर्ट से भी यहां पहुंचा जा सकता है। उड़ान स्कीम के तहत 16 सीटर डीजो-228 की सर्विस सप्ताह में दो बार जीरो वैली के लिए शुरू कर दी गई है। इसका किराया करीब 800 रुपए प्रतियात्री तय किया गया है।

क्या आप जानते हैं कि होलौंगी एयरपोर्ट, अरूणाचल का पहला पूर्ण विकसित ग्रीनफील्ड होलौंगी एयरपोर्ट है। यहां के जनजातीय लोगों की सूर्य (डोनी) और चंद्रमा (पोलो) के प्रति गहरी आस्था है, इसलिए इसका नाम Donyi Polo Airport कर दिया गया है। हालांकि, इसे और अधिक विकसित किया जा रहा है।
इसके अलावा यदि आप चाहें तो टूरिस्ट गाड़ियां भी बुक करा सकते हैं। यहां से करीब 95 किमी के सफर का काफी हिस्सा पहाड़ी होने के बावजूद सड़कें काफी अच्छी हैं, इसलिए आप यहां करीब 3 से साढ़े तीन घंटे में पहुंच सकते हैं।

कौन सा मौसम बेहतर
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यहां आने के लिए जून-जुलाई का मौसम बहुत ही बढ़िया है। इसके अलावा सितम्बर के अंतिम सप्ताह में यहां होने वाले म्यूजिक फेस्टिवल के समय भी आ सकते हैं। इस समय मौसम में हल्की ठंडक जरूर होती है लेकिन दिन में धूप खिली रहती है।
कहां रुकें

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यकीन मानिए यहां के ज्यादातर होम स्टे, काॅटेज और होटल में आपको थ्री से फाइव स्टार होटल जैसी व्यवस्थाएं देखने को मिलंेगी। यहां की महिलाएं देश के विभिन्न राज्यों से साल-सालभर का प्रशिक्षण लेकर होम स्टे चला रही हैं, ऐसे में इनकी मेहमान नवाजी, मन मुताबिक खान-पान और साफ-सफाई देख कर आप भी दंग रह जाएंगे। हां, आपको यह सब थोड़ा महंगा लग सकता है लेकिन यहां मिल रही सुविधाओं के हिसाब से उसे रीजनेबल कह सकते हैं।
यदि आप यहां सितम्बर के माह में आएंगे तो ध्यान रखें कि पहले ही अपने होटल और होम स्टे की ऑनलाइन बुक करा लीजिए, अन्यथा कमरा मिलना मुश्किल होगा।

कुछ लिंक शेयर कर रही हूं, उसे अवश्य देखें। आप यहां पहुंच कर कागो कॉम्पु, ग्याति लोडर और नानी जेलियांग के होम स्टे और काॅटेज के अलावा सीएमओ और समाजशास्त्री डा. तागे कानो से भी संपर्क कर सकते हैं। क्योंकि मैंने स्वयं उक्त जगहों में रह कर एक्सपीरियंस किया है। बाकी, और अधिक जानकारी के लिए आप अरुणाचल के पर्यटन विभाग के साइट को देख सकते हैं। #mamtasinghmedia