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ईरान के ख़िलाफ़ अधिकतम दबाव की नीति विफल हो चुकी है : व्हाइट हाउस

 

 

ईरान के राष्ट्रपति सैयद इब्राहीम रईसी ने कहा है कि ख़ुद व्हाइट हाउस ने स्वीकार कर लिया है कि ईरान के ख़िलाफ़ वाशिंगटन की अधिकतम दबाव की नीति विफल हो चुकी है।

रविवार को अंतरराष्ट्रीय एग्ज़ीबेशन ईरान एक्सपो 2023 के उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए ईरानी राष्ट्रपति ने कहा कि अमरीका की अधिकतम दबाव की नीति के विफल होने का एक स्पष्ट उदाहरण ईरान एक्सपो 2023 है, जिससे यह साबित हो जाता है कि ईरान विरोधी अमरीका के प्रतिबंध, अब अपना असर खोते जा रहे हैं।

राष्ट्रपति रईसी का कहना था कि इससे पहले तक ईरान को सिर्फ़ एक तेल और गैस निर्यातक देश के रूप में जाना जाता था, हालांकि हम आज भी एक बड़े गैस और तेल निर्यातक हैं, लेकिन दूसरे क्षेत्रों में भी हमारी क्षमताएं निखरकर सामने आ रही हैं। दूसरे देशों के साथ हमारे व्यापारिक रिश्तों का स्तर बदल रहा है और अब यह स्तर काफ़ी ऊंचाई तक पहुंच सकता है।

घरेलू क्षमताओं को पहचानने की आवश्यकता पर ज़ोर देते हुए उन्होंने कहाः अन्य देशों में ईरान के वाणिज्यिक केन्द्रों को हमारी आर्थिक और वाणिज्यिक क्षमताओं का परिचय देना चाहिए। हमने अपनी सरकार में इन केन्द्रों को सक्रिय करने का प्रयास किया है।

राष्ट्रपति ने कहा: स्वास्थ्य और चिकित्सा उपकरणों के क्षेत्र में महत्पूर्ण क़दम उठाए गए हैं, और आज हम देश में ज़रूरत की 95% दवाओं का उत्पादन कर रहे हैं और इसी के साथ दवाओं का निर्यात एक सम्माजनक उपलब्धि है। आंकड़े बताते हैं कि पेट्रोकेमिकल्स, खदानों और अन्य क्षेत्रों में महत्वपूर्ण कार्य हुए हैं। हम उद्योगपतियों को विज्ञान और प्रौद्योगिकी पार्कों का दौरा करने और विस्तृत यात्रा करने की सलाह देते हैं।

ग़ौरतलब है कि ईरान में प्रादौयगिक और आधुनिक तकनीक समेत क़रीब समस्त क्षेत्रों में अंतरराष्ट्रीय स्तर की प्रदर्शनियों का आयोजन और इन प्रदर्शनियों में दुनिया भर की प्रमुख कंपनियों का भाग लेना, ईरानी अर्थव्यवस्था के सही मार्ग पर आगे बढ़ने का सुबूत है।

ईरान न सिर्फ़ मध्यपूर्व बल्कि दुनिया के उन देशों में से एक है, जो कई महत्वपूर्ण क्षेत्रों में तेज़ी से आत्मनिर्भर बन रहे हैं और आर्थिक विकास के मार्ग पर अग्रसर हैं। निश्चित रूप से अमरीका और पश्चिम के प्रतिबंधों को ईरान ने अवसर में बदल दिया है और आज इन प्रतिबंधों का प्रभाव काफ़ी फीका पड़ चुका है।

इसी वास्तविकता की ओर संकेत करते हुए ईरानी राष्ट्रपति का कहना था कि आज हमने अपने आर्थिक विकास को राजनीतिक वार्ता पर निर्भर नहीं रखा है, बल्कि अब वार्ता पूरे सम्मान के साथ आगे बढ़ेगी और हम अपने हितों के अनुसार, वार्ता के आगे बढ़ाएंगे। हालांकि हमने कभी भी वार्ता की टेबल से मुंह नहीं मोड़ा है, बल्कि यह अमरीका है जिसने अपने वादों को तोड़ा और वार्ता की टेबल छोड़ी है।