विशेष

जो इंसान झूठे और बेईमान होंगे वह इस ब्रह्माण्ड के ज्ञान को कभी नहीं समझ पाएंगे : सरदार मेघराज सिंह का लेख पढ़िये!

Meghraj Singh
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बेअंत गुणों का मालिक है वह रब जिसने यह पूरा ब्रह्मांड बनाया हैं ।
बेअंत गुण हैं हे रब तेरे अंदर हम तेरा एक भी गुण ना लिख पाए ।
1 हे रब तू सब जीवों को भूतकाल में भी पानी देकर प्यास बुझा रहा था वर्तमान में भी पानी से सब जीवों की प्यास बुझा रहा है भविष्य में भी तुं पानी से सब जीवों की प्यास बुझाता रहेगा क्योंकि तुं बेअंत गुणों का मालिक है ।
बेअंत गुण हैं हे रब तेरे अंदर हम तेरा एक भी गुण ना लिख पाए ।
2 हे रब तुं सब जीवो भूतकाल में भी भोजन दे रहा था वर्तमान में भी सब जीवो को भोजन दे रहा है और भविष्य में भी सब जीवों को भोजन देता रहेगा क्योंकि हे रब तुं बेअंत गुणों का मालिक है ।
बेअंत गुण हैं हे रब तेरे अंदर हम तेरा एक भी गुण ना लिख पाए ।
3 हे रब तूं पानी के अंदर सब जीवो को पैदा करके भुतकाल में भी रोज़ी दे रहा था वर्तमान में भी रोज़ी दे रहा है और भविष्य में भी रोजी ही देता रहेगा क्योंकि तुं बेअंत गुणों का मालिक है ।
बेअंत गुण हैं हे रब तेरे अंदर हम तेरा एक भी गुण ना लिख पाए ।
4 हे रब तुं पशु पक्षियों को भी भूतकाल में भी रोजी दे रहा था वर्तमान मे भी रोजी दे रहा है और भविष्य में भी तू पशु पक्षियों को रोज़ी देता रहेगा क्योंकि तुं बेअंत गुणों का मालिक है ।
बेअंत गुण हैं हे रब तेरे अंदर हम तेरा एक भी गुण ना लिख पाए ।
5 हे रब तूं मॉस खाने वाले पशुओं के लिए मास पैदा किया है और घास खाने वाले पशुओं के लिए तो घास पैदा किया है और भविष्य में भी ऐसा ही करता रहेगा क्योंकि तुं बेअंत गुणों का मालिक है ।
बेअंत गुण हैं हे रब तेरे अंदर हम तेरा एक भी गुण ना लिख पाए ।
6 हे रब तूं इंसानों को भी भूतकाल में रोज़ी रोटी दे रहा था वर्तमान में भी रोज़ी रोटी दे रहा है और भविष्य में भी तुं रोज़ी रोटी देता रहेगा क्योंकि तुं बेअंत गुणों का मालिक है ।
बेअंत गुण हैं हे रब तेरे अंदर हम तेरा एक भी गुण ना लिख पाए ।
7 हे रब तुं इंसानों को अच्छी तरह जानता है सब कुछ होते हुऐ भी रोज़ी रोटी होते हुए भी घर बार होते हुए भी इन्सान बहुत परेशान है तड़प रहे हैं लालच के पीछे दौड़ रहे हैं हे रब तुं सब के उपर अपनी बख़्शीश करके सब्र संतोष का फल दे क्योंकि तुं बेअंत गुणों का मालिक है ।
बेअंत गुण हैं हे रब तेरे अंदर हम तेरा एक भी गुण ना लिख पाए ।
8 हे रब जैसे पानी के जीव जन्तु चिंताओं से मुक्त है ।
हे रब जैसै पशु पक्षी चिंताओं से मुक्त है ।
हेर रब जैसे पेड़ पौधे चिंताओं से मुक्त है ।
हे रब तो इंसानों को भी चिन्ताओं से मुक्त कर दे । क्योंकि तुं बेअंत गुणों का मालिक है ।
बेअंत गुण हैं हे रब तेरे अंदर हम तेरा एक भी गुण ना लिख पाए ।
9 हे रब तूने बेअंत तारे बनाकर कितना ख़ूबसूरत ब्रह्मंड बनाया हे रब तूने बेअत सूर्य बनाकर इस ब्रह्माण्ड में घुमाएँ हे रब तूने बेअंत चंद्रमा बनाकर इस ब्रह्माण्ड के अंदर घुमाएँ क्योंकि तुं बेअंत गुणों का मालिक है ।
बेअंत गुण हैं हे रब तेरे अंदर हम तेरा एक भी गुण ना लिख पाए ।
10 हे रब तुं बेअंत पेड़ पौधे इस धरती के ऊपर पैदा कर के उन पेड़ पौधों के उपर अनेक प्रकार के स्वादिष्ट फल लगाकर जीव जंतुओं की जीवन चलाए क्योंकि तुं बेअंत गुणों का मालिक है ।
बेअंत गुण हैं हे रब तेरे अंदर हम तेरा एक भी गुण ना लिख पाए
11 हे रब तुं अनेक प्रकार के रंग बिरंगे फूल पैदा करके तूं पूरे ब्रह्मंड मैं खुशबु बिखेर रहा है क्योंकि तुं बेअंत गुणों का मालिक है ।
बेअंत गुण हैं हे रब तेरे अंदर हम तेरा एक भी गुण ना लिख पाए ।
12 हे रब तूं सोने चाँदी हीरे जवाहरात के खज़ाने पैदा किए हैं जिनको इन्सान भूतकाल में भी यूज करते आए हैं वर्तमान वह भी यूज़ कर रहे हैं और भविष्य में भी इन खजानों को यूज़ करते रहेंगे फिर भी यह खजाने ख़त्म नहीं होंगे क्योंकि तुं बेअंत गुणों का मालिक है ।
बेअंत गुण हैं हे रब तेरे अंदर हम तेरा एक भी गुण ना लिख पाए ।
13 हे रब तुं डीज़ल पेट्रोल मिट्टी का तेल और कोयले के ख़ज़ाने भी पैदा किए हैं जो इंसान के काम आ रहे हैं और भविष्य में भी यह ख़ज़ाने इंसानों के काम आते रहेंगे क्योंकि तुं बेअंत गुणों का मालिक है ।
बेअंत गुण हैं हे रब तेरे अंदर हम तेरा एक भी गुण ना लिख पाए ।
14 हे रब तेरी कृपा से बेअंत दरिया नदियां बह रहे हैं सब जीवों की प्यास बुझा रहे हैं और भविष्य में भी सब जीवों की बुझाते रहेंगे क्योंकि तुं बेअंत गुणों का मालिक है ।
बेअंत गुण हैं हे रब तेरे अंदर हम तेरा एक भी गुण ना लिख पाए ।

कुछ महत्वपूर्ण शायरी
हे रब तुं भूतकाल में भी था तूं वर्तमान में भी है हे रब तुं भविष्य में भी रहेगा ।
हे रब तुं भूतकॉल में भी एक था वर्तमान में भी एक है और भविष्य में भी एक ही रहेगा ।
हे रब तुं सब जीव जंतुओं को मौत और जनम भूतकाल में भी देता रहा वर्तमान में भी दे रहा है और भविष्य भी मौत और जनम तू ही देता रहेगा ।
हे रब तुं सब जीव जंतुओं को भूतकाल में भी भोजन पानी देता रहा था वर्तमान में भी भोजन पानी दे रहा है और भविष्य में भी देता ही रहेगा ।
जो इंसान झूठे और बेईमान होंगे वह इस ब्रह्माण्ड के ज्ञान को कभी नहीं समझ पाएंगे ।
जो सच्चे और ईमानदार इंसान होगे वहीं इस ब्रह्माण्ड के ज्ञान को सही समझ पाएंगे ।
सच्चे और ईमानदार इंसान ही सच्चे रब को अपने अंदर पाकर परमानंद को पा लेते हैं ।
सच्चाई और ईमानदारी का प्रचार प्रसार करके वह अपने जीवन को सफल बना लेते हैं ।
नोट —-इस ब्रह्माण्ड के ज्ञान को सिर्फ़ सच्चे और ईमानदार इंसान ही समझ सकते हैं ।
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( M S Khalsa )