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नेतनयाहू ने कहा- मैं ईरान पर भी हमला करूंगा : रिपोर्ट

7 अक्तूबर से अलअक्सा तूफान ऑप्रेशन जारी है। यह ऑप्रेशन अपनी मातृभूमि की आज़ादी के लिए हमास की सैनिक शाखा अलकस्साम ब्रिगेड ने आरंभ किया है और 106 दिन से अधिक का समय गुज़र गया और इस्राईल के आतंकवादी और पाश्विक हमलों में अब तक 25 हज़ार से अधिक फिलिस्तीन शहीद और 62 हज़ार से अधिक घायल हो चुके हैं।

शहीद होने वालों में केवल 10 हज़ार से अधिक फिलिस्तीन के मासूम बच्चे हैं। 25 हज़ार से अधिक फिलिस्तीनियों की शहादत पर मानवाधिकारों की रक्षा का दम भरने वाले अमेरिका और ब्रिटेन सहित समस्त देश अर्थपूर्ण चुप्पी साधे हुए हैं।

रोचक बात तो यह है कि मानवाधिकारों की रक्षा का दम भरने वाले देशों में अमेरिका और ब्रिटेन जैसे देश न केवल अर्थपूर्ण चुप्पी साधे हुए हैं बल्कि खुलकर इस्राईल की मदद भी कर रहे हैं और उनकी मदद ही की वजह से इस्राईल फिलिस्तिनियों के खिलाफ जघन्य अपराध कर रहा है और अगर इन देशों का व्यापक समर्थन व आशीर्वाद न होता तो न केवल इस्राईल के अपराध बहुत पहले बंद हो गये होते बल्कि इस्राईल ही खत्म हो चुका होता।

इसी बीच जो चीज़ पूरी दुनिया के आश्चर्य का कारण बनी है वह फिलिस्तीनियों का अदम्य साहस, धैर्य और प्रतिरोध है। कितने अचरज की बात है कि फिलिस्तीनी संघर्षकर्ताओं ने स्वयं को दुनिया की मज़बूत सेना और गुप्तचर सेवा का स्वामी कहने वाले इस्राईल का दांत खट्टा कर दिया है, उसे नाकों चना चबाने पर बाध्य कर दिया है यही नहीं उसका मूल समर्थक और आक़ा अमेरिका भी इस्राईल के समर्थन में किसी प्रकार के समर्थन में संकोच से काम नहीं ले रहा है परंतु आज तक इस्राईल अपना एक लक्ष्य भी हासिल न कर सका।

इस्राईल का कहना है कि हमास की कैद में बंद समस्त इस्राईली बंदियों को आज़ाद कराना और हमास को खत्म करना उसका मूल लक्ष्य है मगर 106 दिन का समय गुज़र जाने के बावजूद अमेरिका, ब्रिटेन और उनकी अवैध संतान इस्राईल इन दोनों में से किसी एक लक्ष्य को भी हासिल नहीं कर सके। वह भी एक छोटे से फिलिस्तीनी गुट से। क्या कोई स्वतंत्र विचार रखने वाला इंसान अभी भी फिलिस्तीन के संघर्षकर्ताओं गुटों की जीत और इस्राईल और उसके समर्थकों की हार में संदेह करेगा? इतने दिनों से फिलिस्तीन के संघर्षकर्ता गुटों का डटे रहना ही उनकी जीत का स्पष्ट प्रमाण है और जो इस्राईल और अमेरिका हमास और उसकी सैनिक शाखा इज़्ज़ुद्दीन क़स्साम यानी फिलिस्तीन के संघर्षकर्ता गुटों का मुकाबला न कर सकें वह ईरान से क्या मुकाबला करेंगे? कितनी अजीब बात है कि ऐसी हालत में नेतनयाहू कह रहे हैं कि किसने कहा है कि मैं ईरान पर हमला नहीं करूंगा, मैं ईरान पर भी हमला करूंगा।

उनका कहना है कि हिज़्बुल्लाह और हूसियों के हमलों के पीछे ईरान का हाथ है। राजनीतिक टीकाकार उनकी धमकी को गीदड़भभकी और खोखली डींग से अधिक कुछ और नहीं मानते।

नेतनयाहू कहते हैं कि लक्ष्य की प्राप्ति तक जंग जारी रहेगी और जंग में इस्राईल की जीत से इस्राईली बंदियों की वापसी संभव होगी और हमास का अंत होगा। उनका कहना है कि लक्ष्यों के पूरा होने से पहले जंग बंद होने से दुश्मनों को इस्राईल की कमज़ोरी का संदेश जायेगा और जब तक बंधक घर वापस नहीं आ जाते तब तक जंग जारी रहेगी।

कितनी अजीब बात है कि 106 दिन का समय गुज़र गया और इस्राईल ने इन दिनों में फिलिस्तीन के मज़लूम लोगों के खिलाफ अपराध में किसी प्रकार के संकोच से काम नहीं लिया और आज तक एक इस्राईली बंधक को भी आज़ाद नहीं करा पाये हां अभी हाल ही में इस्राईली सैनिकों ने दावा किया है कि उन्होंने गज्जा पट्टी के एक कब्रिस्तान से 21 इस्राईली बंधकों के शवों को निकाला है। यह जायोनी बंधक इस्राईल की बमबारी में मारे गये।

अभी कुछ दिन पहले इस्राईल के एक पूर्व प्रधानमंत्री ने जंग के तुरंत बंद किये जाने की मांग की थी और कहा था कि अगर जंग बंद नहीं की गयी तो बंदियों की जीवित वापसी कठिन हो जायेगी। सारांश यह कि जानकार हल्कों का मानना है कि अमेरिका और इस्राईल को बहुत अच्छी तरह यह समझ में आ गया है कि जंग जारी रहने की स्थिति में बंदियों की रिहाई संभव नहीं है अतः अमेरिका और इस्राईल की भलाई जल्द से जल्द जंग बंद करने में है और वे कितने बहादुर हैं, मानवाधिकारों की रक्षा के दावे में कितने सच्चे हैं, असली आतंकवादी कौन है, कौन ज़ालिम और कौन मज़लूम है इन सब चीजों को पूरी दुनिया ने गज्जा युद्ध में बहुत अच्छी तरह अपनी नज़रों से देख लिया है।

नोटः यह व्यक्तिगत विचार हैं। पार्सटूडे का इनसे सहमत होना ज़रूरी नहीं है।