साहित्य

#वहां_कौन_है_तेरा_मुसाफ़िर_जाएगा_कहां………By-मनस्वी अपर्णा

मनस्वी अपर्णा
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#वहां_कौन_है_तेरा_मुसाफ़िर_जाएगा_कहां
अमिताभ बच्चन अपने एक इंटरव्यू में कहते हैं कि जब आप खुश होते हैं तो आपको गीत की लय और उसके संगीत का आनन्द आता है लेकिन जब आप दुःख में होते हैं तब गीत के बोल और उसका वास्तविक अर्थ समझ आता है, ये कमाल की बात है ऐसा होता है सुख के क्षणों में एक त्वरा होती है इसलिए कुछ भी समझ आए उससे पहले ही वो क्षण जा चुके होते हैं, दुःख के क्षण मन्वंतर की तरह होते हैं, बड़ी तफ़्सील से गुज़रते हैं और अक्सर तब ही हम ज़िंदगी के गीत का अर्थ भी समझ पाने में सक्षम हो पाते हैं, दुःख कितना भी बुरा क्यूं न लगे लेकिन ये वो सीख दे जाता है जिसको सहज जीवन में सीखना बेहद मुश्किल है।

बहरहाल मैं इन दिनों शैलेंद्र साहब की बड़ी मुरीद हूं, मैं जितना उनके लिखे गीत सुनती हूं उतना ही उनके प्रति मेरा अनुग्रह, आदर और कृतज्ञता बढ़ते जाते हैं, कोई भी रचनाकार छोटा या बड़ा नही होता लेकिन रचना धर्मिता रचनाकार के भीतरी व्यक्तित्व की पहचान कराते हैं, इन अर्थों में मेरे हृदय में शैलेंद्र का कद ऊंचा और ऊंचा होता जा रहा है और एक ज़रा अफ़सोस भी है कि मैंने उनको और उनकी actuall approach को समझने में देर कर दी…. निःसंदेह राज कपूर नहीं होते तो शैलेंद्र और उनके गीत हम तक न पहुंचे होते… इसलिए एक शुक्रिया तो राज कपूर साहब के लिए भी बनता है।
मैंने किसी एक रचनाकार के बड़े फैन देखें और उनकी दीवानगी कई बार देखी है पर समझ नहीं आता था कि आखिर ऐसी क्या बात होती है कि कोई किसी का दीवाना होकर रह जाता है लेकिन परमात्मा की कृपा है कि मुझे इस दिवानगी का मनोविज्ञान समझ आ सका…. इसकी पहल झलक ओशो रजनीश को सुन कर हुई और अब शैलेंद्र के लिए, मैं हमेशा ही कहती हूं कि शैलेंद्र उस हारे, टूटे, बिखरे मन की बात भावना के उस चरम पर करते हैं कि क्या ही कहने…. अपने ईमान और मासूम दिल के सहारे इस कठोर बर्बर दुनिया से टकराते हर आदमी को शैलेंद्र मनुष्यता का शिखर सौंपते हैं और मैं जानती हूं कि बिना इस राह से गुज़रे इस राह के मोड़ और रुकावटों को इतनी खूबी से बयां नहीं किया जा सकता। मेरे दिली गुज़ारिश है कि आप लोग भी इन गीतों को ज़रूर सुनें।
आवारा हूं

आ अब लौट चलें
सब कुछ सीखा हमने
दिन ढल जाए हाए रात न जाए
वहां कौन है तेरा
किसी की मुस्कुराहटों पे हो निसार
दिल जो भी कहेगा मानेंगे दुनिया में हमारा दिल ही तो है
दिल का हाल सुने दिल वाला
टूटे हुए ख्वाबो ने
अपनी तो हर आह

ये किसी और मिजाज़ के गीत है जिनमें जीवन का विशुद्ध फलसफा है शैलेंद्र के लिखे गीत और भी हैं, ज़ाहिरा तौर पर वो सभी गीत भी बेहद ख़ूबसूरत हैं लेकिन उनकी चर्चा किसी और दिन….
मेरी समझ यह कहती है कि संगीत में कुछ तो ऐसा होता है जो आपके किसी भाव विशेष को उत्प्रेरित करता है और जितना गहरा ये उत्प्रेरण होता है उतनी ही गहराई से हम सुरों और शब्दों के उस अतल सागर में उतरते जाते हैं जहां कोई जादू होता है। और मुझे लगता है कि हमारे जीवन में संगीत का एक सुव्यवस्थित स्थान होना ही चाहिए, हमारी सभ्यताओं और सभी संस्कृतियों में तो है ही, मगर कुछ लोग अभी भी इस जादू से अछूते हैं। मैं दुआ करूंगी कि जल्द ही ये जादू उनके भी सर चढ़कर बोले….. आमीन।

मनस्वी अपर्णा

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