नई दिल्ली:अल जजीरा के अनुसार स्थानियों ने बताया है कि इस दीनी जलसे में नन्हें हाफ़िज़ जिनकी दस्तारबंदी हुई थी सब शहीद होगए हैं इसके अलावा “बहुत से आम नागरिक” भी इसमें शहीद होगए हैं जिनके पूरे पूरे परिवार तबाह होगए हैं।
मोहम्मद अब्दुल हक ने अल जजीरा को बताया, “समारोह में 11 या 12 वर्ष के नन्हें मासूम बच्चे थे जिन्होंने क़ुरआन पाक हिफ़्ज़ किया था जिस पर उन्हें मदरसे में दस्तार और पुरुस्कार दिया गया था।
Video footage from #KunduzMassacre
The Afghan Airforce killed 70+ (figure by New york times) in airstrikes on a mosque/madrassah in Dasht-e-Archi district of Kunduz. 1000s were present at the time to attend the graduation ceremony of their children/relatives #Afghanistan pic.twitter.com/fcNYzNcPMx
— Asfandyar Bhittani (@BhittaniKhannnn) April 3, 2018
माँए अपने बच्चों की मौत के लिए अस्पताल के बाहर रो रही है उनकी तड़प और बिलकना देखकर हर देखने वाली की आंख में आँसू आरहे है,अन्य गवाहों ने अल जजीरा को बताया कि हमले में 100 से ज्यादा लोग मारे गए थे।
स्थानीय नागरिकों ने बताया कि “मैं अपने खेत में काम कर रहा था जब मैंने हेलीकॉप्टर और जेट्स को मदरसे (धार्मिक स्कूल) पर बमबारी करते हुए सुना था जहां नये हाफ़िज़ क़ुरआन (जो कुरान के 30 अध्यायों को याद करते हैं) की दस्तारबंदी होरही थी ।
#ThankyouJinnah for Pakistan! Thank you for not throwing us to the afghan wolves. #Kunduz #PakistanZindabadMovement pic.twitter.com/lHJguWtKWD
— Asfandyar Bhittani (@BhittaniKhannnn) April 3, 2018
स्थानीय नागरिक ने बताया कि “तालिबान इस क्षेत्र में सक्रिय हैं, लेकिन इस समारोह ज्यादातर मासूम बच्चे और युवा लड़के शामिल थे”यह एक आपदा थी हर जगह खून ही खून था”
#KunduzMassacre Afghanistan just had its very own APS tragedy, difference being that more than a 100 children graduating for memorizing the Qur'an were killed not by terrorists but by the USA backed Afghan Airforce. This is not war against terrorism, THIS IS TERRORISM! pic.twitter.com/mOv5Mh1Uq8
— Hamza Ali Abbasi (@iamhamzaabbasi) April 3, 2018
तालिबान ने अल जज़ीरा को भेजे गए प्रेस रिलीज़ में कहा है कि हमला के दौरान कोई भी सैनिक मौजूद नहीं थे, जबकि हवाई हमले करीब 150 इस्लामिक स्कॉलर,मौलाना,मुफ़्ती,हाफ़िज़,शहीद हुए हैं और इनमें ज्यादातर संख्या उन मासूम बच्चों की है जिहोने हिफ़्ज़ क़ुरआन मुक्कमल किया था।