साहित्य

वो रात इत्तेफाक़ से ख़्वाबों में आ गए…..By-शकील सिकंद्राबादी

Shakeel Sikandrabadi ============== · ग़ज़ल हम ये समझ रहे थे के फूलों में आ गए लेकिन वफाएँ कर के तो काँटों में आ गए हक़ का सवाल पूछने झूटों में आ गए आईना ले के आप भी अन्धों में आ गए मग़रूर हुस्न वालों की चालों में आ गए आशिक़ मिज़ाज लौग थे बातों में […]

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सभी को अपने तुच्छ स्वार्थ भूलकर परिवार की समृद्धि के लिए काम करना चाहिए : लक्ष्मी सिन्हा का लेख

Laxmi Sinha ============= · परिवार सामाजिक संगठन की प्रथंम इकाई है। समाजिक शक्ति परिवारिक शक्ति पर निर्भर करती है।इसीलिए समाज के सशक्तिकरण के लिए परिवार का सशक्त होना जरूरी है। जब हम परिवार की बात करते हैं तो रक्त संबंध के सभी रिश्ते परिवार की श्रेणी में आ जाती है, जैसे माता _पिता, पति _पत्नी, […]

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⚘आज फिर जाँच, एक लघुकथा…By – रूबी गुप्ता

Satyendra Rubi Gupta ============== एक लघुकथा: ⚘आज फिर जाँच। सुबह का समय सब कुछ अपने नियत समय से चल रहा था। प्रार्थना सभा के बाद कुछ कहानी कविताओं के साथ आज के पठन पाठन कार्यक्रम की शुरुआत हुई। प्रति दिन के भाँति ही सब कुछ सामान्य था रसोईघर में दाल के छौंक से बच्चों के […]

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राम #राज्य की नींव #जनक की #बेटियां ही थीं…कभी सीता तो कभी उर्मिला!

Birju Moti Singh Kshatria ============= #भगवान श्री राम को 14 वर्ष का वनवास हुआ तो उनकी पत्नी माँ सीता ने भी सहर्ष वनवास स्वीकार कर लिया। परन्तु बचपन से ही बड़े भाई की सेवा मे रहने वाले #लक्ष्मण जी कैसे #राम जी से दूर हो जाते! माता सुमित्रा से तो उन्होंने आज्ञा ले ली थी, […]

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हिन्दू पुरुष संसार का सबसे निरीह प्राणी है……”थैला दे दो मुझे, सब्ज़ी ले आऊं”……

Brijesh Chaturvedi ============= इन 60-65 साल के अंकल आंटी का झगड़ा ही ख़त्म नहीं होता….. . एक बार के लिए मैंने सोचा अंकल और आंटी से बात करू क्यों लड़ते हैं, हर वक़्त आख़िर बात क्या है….. . फिर सोचा मुझे क्या मैं तो यहाँ दो दिन के लिए आया हूँ ….. . मगर थोड़ी […]

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मनुष्य के जीवन में प्रतिदिन चारों युग आते हैं, इस प्रकार राष्ट्रगान पूरी तरह भारतीय संस्कृति का संवाहक है : #लक्ष्मी_सिन्हा का लेख पढ़िये

Laxmi Sinha ============= हमारे राष्ट्रगान का प्रभाव ‘जन_ गण_ मन’ से होता है। मानव शरीर जहां विविध जनों का सूचक है तो मनुष्य की प्रवृतियां और सोच_विचार उनके गण हैं। इन्हीं गाणों के अधीन मनुष्य जीवनपर्यंत रहता है, जोमन को प्रभावित करता है।मन को नियंत्रण करने की साधना ऋषियों ने भी बताई है, जिससे मनुष्य […]

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समय पुराना था, घर की बेटी, पूरे गाँव की बेटी होती थी…आज की बेटी पड़ोसी से ही असुरक्षित हैं…!…by-अंगद अग्रहरि

Anand Agrahari ============= समय पुराना था 🩸तन ढँकने को कपड़े न थे, फिर भी लोग तन ढँकने का प्रयास करते थे …! आज कपड़ों के भंडार हैं, फिर भी तन दिखाने का प्रयास करते हैं समाज सभ्य जो हो गया हैं । 🩸समय पुराना था, आवागमन के साधन कम थे। फिर भी लोग परिजनों से […]

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जहां नभ से भू का नाता है, जहां धरा हमारी माता है, उस देश को भारत कहते हैं : लक्ष्मी सिन्हा की रचना

Laxmi Sinha ==================== · जिस देश का कण-कण सोना हो, जिस देश की नारी देवी हो जिस देश में गंगा बहती हैं, उस देश को भारत कहते हैं जहां भाई _भाई में प्रेम हो, भाई चारे का नेम हो जहां जात_ पांत का भेद न हो, उस देश को भारत कहते हैं जहां नभ से […]

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भगवान तो मात्र भाव के भूखे होते हैं,,,,,, लक्ष्मी सिन्हा की रचना पढ़िये!

Laxmi Sinha =============== जब ईश्वर का वास हृदय में माना गया है तो मंदिर जैसे उपासना स्थल क्यों बनाए जाते हैं? मंदिरों की स्थापना के पीछे उद्देश्य था कि पूजा, अर्चना और यज्ञ आदि द्वारा पवित्र तन्मात्राओं यानी पंचभूतों के सूक्ष्म रूप की सृष्टि की जाए। किसी साधु हृदय व्यक्ति हो पूजा का कार्यभार सौंपा […]

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हम सब नकारात्मक विचारों को त्याग कर, सकारात्मक विचारों को अपनाएं,,,,,,,।…..By – लक्ष्मी सिन्हा

Laxmi Sinha ========= · हम जैसा होना और बनना चाहते हैं विचार हमें उसी लक्ष्य की ओर अग्रसर होने की प्रेरणा प्रदान करती है।,, सद् विचार जीवन रूपी तपस्या के हवन कुंड से निकलने वाली वह प्राणदायिनी उर्जा है, जो यत्र_ तत्र_सर्वत्र को अपनी आभा से सुगंधित कर देती है। सद् विचार परिष्कृत मंत्र के […]